नगर व ग्रामीण क्षेत्र में जल संकट
मनीस पांडेय, बागेश्वर ठंड गई और अब गर्मी के दिन शुरू हो चुके है। हालांकि रातें अभी भी कुछ नर्म
मनीस पांडेय, बागेश्वर
ठंड गई और अब गर्मी के दिन शुरू हो चुके है। हालांकि रातें अभी भी कुछ नर्म है, लेकिन ज्यादा दिन नहीं। जल्द ही सूर्य के तेवर तल्ख होंगे और पानी की किल्लत से शहर जूझता दिखाई देगा। हालांकि इसका असर शुरुआती दौर में ही दिखाई देना शुरू हो गया। हैंडपंपों पर कतारें दिख रही हैं तो स्त्रोतों के हलक सूखने लगे हैं।
ये हाल सिर्फ शहर का नहीं है, बल्कि गांव भी इससे प्रभावित हो रहे है। महज तीस हजार की आबादी वाले इस शहर में सब के लिए पानी उपलब्ध नहीं है। लगातार बढ़ती आबादी के बावजूद जल संसाधन के ढर्रे में कोई बदलाव नहीं हुआ। सात वार्डो में सिमटे शहर में अमूमन पानी की आपूर्ति ठीक है, लेकिन सच्चाई इससे कोसों दूर है। तथ्य यह है कि गर्मियों की दोपहर में एक बड़ा तबका पानी की तलाश में प्राकृतिक स्रोतों के भरोसे ही जीवन गुजार रहा है।
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47 साल पुरानी पाइप लाइन बुझा रही प्यास
शहर में जिस पाइप लाइन से लोगों को पानी सप्लाई किया जा रहा है, यह 1970 में बिछाई गई थी। जो आज तक प्रयोग में है। उसी समय पंप हाउस भी बना जो अब प्रयोग में नहीं लिया जा रहा। सालों पुरानी पाइप लाइन कई जगह से लीकेज है। जिसके चलते भारी मात्रा में पीने वाला पानी बह कर बर्बाद हो रहा है। जाहिर है इतने सालों में आबादी तो बढ़ी, लेकिन जल संस्थान ने खुद का दायरा नहीं बढ़ाया।
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दो तिहाई लोगों के लिए नहीं है पानी
जल संस्थान के एक आंकड़े के मुताबिक एक व्यक्ति के लिए 135 लीटर पानी हर रोज की जरूरत है और इसकी आपूर्ति भी की जा रही है। इस तरह 30 हजार लोगों के लिए लगभग 3.5 एमएलडी पानी रोज चाहिए, लेकिन विभाग के पास सिर्फ 1.34 एमएलडी पानी ही उपलब्ध है। इस तरह से दो तिहाई जनसंख्या के पीने के पानी की कोई सुचारू व्यवस्था विभाग के पास नहीं है। जिसका खामियाजा लोगों को भुगतना होगा।
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हैंडपंप से बुझ रही प्यास
नगर में बहुत से क्षेत्र ऐसे हैं, जहां पानी की आपूर्ति नहीं की जा रही है। ऐसे में छोटे बच्चों से लेकर बड़े तक पानी के लिए दूर किसी हैंडपंप पर निर्भर हैं। जहां पानी के लिए लाइन लगाए लोग आसानी से देखे जा सकते हैं। नगर में कुल 25 हैंडपंप हैं। जबकि जिले में 529 हैंडपंप है। विभागीय अधिकारियों की मानें तो लगाए गए हैंडपंपों में से अधिकांश चालू हालत में है। हालांकि कितने चालू है इसका कोई आंकड़ा विभाग के पास नहीं है।
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सूखने लगे प्राकृतिक जल स्रोत
नगर की बहुसंख्यक आबादी पीने की पानी के लिए प्राकृतिक जल स्रोतों पर ही निर्भर हैं, लेकिन मौसम की गर्मी का तकाजा यह है कि जल स्रोत भी अब सूखने लगे है। अन्य दिनों में जहां ज्यादा पानी आता है तो गर्मी में मांग बढ़ने के साथ ही स्त्रोत से पानी भी अब बूंद-बूंद ही निकल रहा है। इसकी बानगी नदी गांव में बहने वाले जल स्त्रोत में देखी जा सकती है।
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गुरुत्व योजना बनेगी सहारा
गुरुत्व योजना के तहत कठायतवाड़ा में जखेड़ा पेयजल योजना, मंडल सेरा व मजियाखेत में भी पेयजल योजनाएं चल रही हैं। इस तरह की योजना में किसी गधेरे या जल स्रोत से स्थानीय स्तर पानी की आपूर्ति की जा रही है।
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ट्यूबवेल योजना लटकी
जून 2015 में सदर तहसील में पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने दो ट्यूबवेल की घोषणा की थी। जिसमें से एक कठायतवाड़ा में तथा दूसरा मंडलसेरा में लगना था, लेकिन योजना पूरी होने के पहले ही सूबे की सरकार बदल गई और योजना खटाई में पड़ गई।
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नगर में पानी की आपूर्ति सामान्य है। सात वार्डो में 10 हजार लोगों को पानी दिया जा रहा है। ग्रामीण क्षेत्रों में समस्या है, जिसके निराकरण हेतु रोस्टर में पानी आपूर्ति की जाती है व पानी के टैंक उपलब्ध कराए जाते हैं।
दीनदयाल, अपर सहकारी अभियंता, जल संस्थान