बागेश्वर को नहीं मिल सका अपना डिपो
सुरेश पांडेय, बागेश्वर : जिला बनने के 19 साल बाद भी बागेश्वर जिले को अपना रोडवेज डिपो नहीं मिल सका ह
सुरेश पांडेय, बागेश्वर : जिला बनने के 19 साल बाद भी बागेश्वर जिले को अपना रोडवेज डिपो नहीं मिल सका है। हां डिपो बनाने की घोषणा दो-दो मुख्यमंत्री कर चुके हैं। डिपो के अभाव में लंबी दूरी की बसों का अभाव बना रहता है।
वर्ष 1997 में बागेश्वर को पृथक जिले का दर्जा मिल चुका था। तभी से बागेश्वर में रोडवेज डिपो बनाने की मांग की जाती रही है। उसके बाद भी रोडवेज डिपो नहीं बन सका। आलम यह है कि लंबी दूरी की बसों के लिए बागेश्वर आज भी बाहरी जिलों की बसों पर ही निर्भर है। टैक्सी चालक मनमाना किराया वसूल रहे हैं। बसों के अभाव में यात्रियों को टैक्सियां बदल बदलकर गंतव्य तक पहुंचना पड़ रहा है। जिले में रोडवेज का डिपो बनाने की घोषणा पूर्व में दो मुख्यमंत्री कर चुके हैं।
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जमीन चयन से आगे नहीं बढ़ा मामला
बागेश्वर: रोडवेज का डिपो बनाने के लिए बिलौना में जमीन जरूर चयनित की गई है, लेकिन मामला इससे आगे नहीं बढ़ सका है। बिलौना में जमीन चयनित कर उसे समतल किया गया है। जमीन में की गई खुदाई से लोगों के घरों में मलबा घुस रहा है। बिलौना के ग्रामीण घरों में बरसात में मलबा घुसने से परेशान हैं। ग्रामीणों का मानना है कि यदि डिपो बन गया होता तो घरों में मलबा नहीं घुसता।
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इन रूटों के लिए जरूरी है बसें
- बागेश्वर- देहरादून
- बागेश्वर- लखनऊ
- बागेश्वर- नैनीताल
- बागेश्वर- हरिद्वार
- बागेश्वर- हल्द्वानी
- बागेश्वर- दिल्ली