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आज भी डोली से मरीज को पहुंचते हैं अस्पताल

चंद्रशेखर बड़सीला, गरुड़ : सरकार हो या विभिन्न कुर्सी में बैठे जनप्रतिनिधि। विकास व आम जनता की समस्या

By Edited By: Published: Thu, 19 Jan 2017 05:30 PM (IST)Updated: Thu, 19 Jan 2017 05:30 PM (IST)
आज भी डोली से मरीज को पहुंचते हैं अस्पताल
आज भी डोली से मरीज को पहुंचते हैं अस्पताल

चंद्रशेखर बड़सीला, गरुड़ : सरकार हो या विभिन्न कुर्सी में बैठे जनप्रतिनिधि। विकास व आम जनता की समस्या के निराकरण का दावा करते फिर रहे हैं। सीसी मार्ग के लिए दी गई धनराशि को राजनेता अपनी उपलब्धि बता रहे हों। स्कूलों के उच्चीकरण हुए तो श्रेय लेने की होड़ लग रही हो। परंतु कई ग्रामीण अब भी यातायात समस्या से जूझ रहे हैं। कई गांव ऐसे हैं जहां अब तक यातायात की सुविधा उपलब्ध नहीं है।

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विकास खंड के मुझारचौंरा, डोठीगैर व बजवाड़ गांव के गांवों में यदि कोई बीमार हो जाय तो उसे तीन किमी पैदल चलकर या फिर डोली से सड़क पर पहुंचना पड़ता है और इसके बाद वाहन बुक करके अस्पताल पहुंचना पड़ता है। इन गांवों की जनसंख्या लगभग दो हजार से अधिक है। कई बार यातायात सुविधा उपलब्ध कराने की मांग की परंतु आश्वासन ही मिले। इसके बाद वे कागजों में सिमट गए। ग्रामीणों की याद इन्हें मात्र चुनावों में आती है। प्रत्याशी व उनके समर्थक भी तीन किमी की खड़ी चढ़ाई पार करके इन गांवों में मतदान के लिए आते हैं। परंतु उन्हें यातायात सुविधा की याद नहीं आती है।

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सड़क बन जाती तो घर पर ही सब्जी व फल के वाजिब दाम मिलते। खड़ी चढ़ाई पार करने में दिक्कत होती है। सड़क के नाम पर मात्र आश्वासन ही मिले परंतु सड़क नहीं बनी है।

लाल सिंह, काश्तकार

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सड़क न होने से कई मरीज तो अस्पताल पहुंचने से पहले ही और अधिक बीमार हो जाते हैं। अधिकारी हो या जनप्रतिनिधि अब तक प्रत्येक ने ग्रामीणों को धोखा ही दिया है।

भूपाल सिंह ग्रामीण

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सड़क बनाने के लिए पंचायत स्तर से लेकर प्रदेश के मंत्री तक प्रस्ताव भेजे। जो आया उसे ज्ञापन सौंपा तथा अपनी बात रखी किसी ने सुनी नहीं। अब तो नेताओं से विश्वास हट गया। प्रदेश में राष्ट्रपति शासन हमेशा के लिए हो तो ही विकास होगा।

केदार सिंह, ग्रामीण

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जीत गए तो सड़क आ जाएगी। यह बात प्रत्येक प्रत्याशी चुनावों से पूर्व करता रहा है। परंतु कितने लोग जीत गए सड़क नहीं आई। सड़क न होने से गर्भवती महिलाओं व अन्य ग्रामीणों को दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।

पुष्पा जोशी, ग्रामीण


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