सौहार्द की उम्मीद जगाता स्यालडोबा
जागरण संवाददाता, बागेश्वर: भेटा करडि़या में ग्रामीण की हत्या के बाद बिगड़ते सामाजिक सौहार्द के बीच द
जागरण संवाददाता, बागेश्वर: भेटा करडि़या में ग्रामीण की हत्या के बाद बिगड़ते सामाजिक सौहार्द के बीच दफौट क्षेत्र का स्यालडोबा गांव उम्मीद की किरण जगाता है। यहां सभी जातियों का आपसी प्रेम, भाईचारा तथा शुभ व अशुभ कार्यो में मिलकर कार्य करना उन लोगों की आंखें खोलने के लिए पर्याप्त है, जो जाति व धर्म के नाम पर लोगों को बांटने का कार्य करते हैं।
भेटा में ग्रामीण की हत्या के बाद कुछ संगठनों ने इस पर जमकर राजनैतिक रोटियां सेकने का कार्य किया। इसे जातीय रंग देने में कोई कसर नहीं छोड़ी गई। यहां तक कि जिला मुख्यालय में रैली निकालकर आजादी के नारे लगाए गए। बयानवीरों ने आग में घी का काम किया। हालांकि जनता स्वार्थी तत्वों की मंशा को भली भांति जानती है। ऐसी स्थिति में दफौट क्षेत्र का स्यालडोबा गांव न केवल उम्मीद जगाता है, बल्कि अन्य लोगों के लिए मिसाल भी कायम करता है। गांव में अनुसूचित जाति, ठाकुर व ब्राह्मण वर्ग के लोग आपस में मिलजुलकर रहते हैं। एक दूसरे की शादी-बरात, पूजा-अर्चना में भी भागीदारी रहती है। ग्रामीणों ने मिलकर गांव में मंदिर का जीर्णोद्धार किया है। गांव के रिटायर्ड कै. पूरन चंद्र पांडेय, भगवान सिंह दफौटी, क्षेत्र पंचायत सदस्य हयात राम बताते हैं कि स्यालडोबा गांव में सभी जातियां एक परिवार के तौर पर रहते हैं। भनारी गोलू मंदिर में बर्तन खरीदकर बड़ी पूजा करने की योजना ग्रामीण बना रहे हैं। गांव के लोग शुक्रवार को बागेश्वर पहुंचकर मंदिर के लिए बर्तन खरीदकर गांव ले गए हैं। जल्द ही मंदिर में सभी जातियां मिलकर पूजा-अर्चना करेंगे। गुसाई राम, गणेश दत्त पांडे, भुवन कांडपाल, बालादत्त तिवारी ने गांव की एकता को अन्य गांवों के लिए मिसाल बताया।