स्नो लैपर्ड का वजूद बचाए रखने को संयुक्त राष्ट्र ने बढ़ाए हाथ
संयुक्त राष्ट्र ने हिम तेंदुओं का वजूद बचाए रखने को हाथ बढ़ाए हैं। यूनाइटेड नेशन डेवलपमेंट प्रोजेक्ट के तहत स्नो लैपर्ड के आवास क्षेत्रों को उसके माकूल बनाया जाएगा।
By Sunil NegiEdited By: Published: Mon, 27 Feb 2017 01:20 PM (IST)Updated: Tue, 28 Feb 2017 06:50 AM (IST)
रानीखेत, [दीप सिंह बोरा]: विलुप्ति के कगार पर पहुंचे हिम तेंदुओं (स्नो लैपर्ड) का वजूद बचाए रखने को संयुक्त राष्ट्र ने हाथ बढ़ाए हैं। अब तक के सबसे बड़े महत्वाकांक्षी यूनाइटेड नेशन डेवलपमेंट प्रोजेक्ट (यूएनडीपी) के तहत हिमालय क्षेत्र में स्नो लैपर्ड के आवास क्षेत्रों को उसके माकूल बनाया जाएगा। वहीं उसके संरक्षण के लिए ट्रैप कैमरे से लगातार मॉनीटरिंग व पैट्रोलिंग की जाएगी। खास बात कि वन कर्मियों को बर्फ के लिहाज से उतनी ही बेहतर सुविधाएं व संसाधन भी मुहैया कराए जाएंगे। देश में हिम तेंदुओं का कुनबा बढ़ाने को अध्ययन व संरक्षण की शुरुआत उत्तराखंड से होगी।
दरअसल, भारत में तकरीबन 75 हजार वर्ग किमी के हिमालयीय दायरे में हिम तेंदुआ संकट में है। प्रकृति संरक्षण के लिए अंतरराष्टरीय संघ की लाल सूची में दर्ज स्नो लैपर्ड हालिया गंगोत्री घाटी के सुंदरढूंगा ग्लेशियर में उसकी मौजूदगी कैमरे में कैद की जा चुकी है। कुमाऊं के सीमांत पिथौरागढ़ जिले में भी अधिक ऊंचाई वाले क्षेत्रों में हिम तेंदुए की मौजूदगी दर्ज की गई है।
इधर हिम तेंदुओं का अस्तित्व बचाने के लिए वन मंत्रालय की पहल पर संयुक्त राष्ट की पर्यावरण व जलवायु परिवर्तन के लिए काम करने वाली इकाई ने न केवल हामी भरी है, बल्कि प्रोजेक्ट का रोडमैप आखिरी चरण में पहुंच गया है।
यूएनडीपी के तहत उत्तराखंड में समुद्री सतह से 3500 से 7000 मीटर की ऊंचाई पर हिमालयी क्षेत्र में हिम तेंदुओं के वास स्थलों को सुधारा जाएगा। वन चौकियों को और सुदृढ़ बना स्नो लैपर्ड कॉरिडोर पर कैमरा ट्रैप लगाए जाएंगे। बर्फीली बेल्ट में वन कमियों को पैट्रोलिंग व मॉनीटरिंग में बाधा न पहुंचे, उन्हें वर्दी व अन्य साजोसामान से लैस किया जाएगा। हिमालयीय राज्य के बाद हिम तेंदुओं की मौजूदगी वाले जम्मू कश्मीर, हिमाचल व लद्दाख क्षेत्र में भी संयुक्त राष्ट के इस विकास प्रोजेक्ट पर काम शुरू किया जाना है।
हिम तेंदुओं के संरक्षित क्षेत्र
- हेमिस राष्ट्रीय उद्यान (जम्मू कश्मीर, लद्दाख की ओर)
- नंदा देवी व फूलों की घाटी (उत्तराखंड)
- पिन घाटी (लाहौल व स्पीति) तथा ग्रेट हिमालयन राष्ट्रीय उद्यान (कुल्लू) हिमाचल प्रदेश
स्नो लैपर्ड पर एक नजर
- यूनीसिया वंश का यह मांसाहारी विडाल प्रजाति का है। उपकुल पैंथर, मध्य एशिया का मूल स्तनधारी। देश के 75 हजार वर्ग किमी के दायरे में इनकी संख्या बमुश्किल 200 से 600 रह गई है। यह सर्दियों में भोजन की तलाश में 1200 से 2000 मीटर की ऊंचाई वाले वन क्षेत्रों का रुख कर लेता है।
पर्यावरण संरक्षण की भी पहल
- हिम तेंदुओं के संरक्षण को भावी प्रोजेक्ट के बहाने उसके वास स्थल वाले ग्लेशियरों में विशेष सफाई अभियान भी चलेगा। मसलन, अवांछित तत्वों की घुसपैठ पर अंकुश, कूड़ा कचरा खासकर पॉलीथिन आदि ले जाने पर पाबंदी लगा दी जाएगी। पर्यटकों को भी वास स्थल के इर्द-गिर्द गतिविधियां बंद कर पर्यावरण व वन्य जीवों को बचाने में सहयोग के लिए प्रेरित किया जाएगा।
विश्व में यहां पाया जाता है हिम तेंदुआ
- भारत, नेपाल, भूटान, अफगानिस्तान, कजाकिस्तान, पाकिस्तान, किरजिस्तान, तजाकिस्तान, उजबेकिस्तान, मंगोलिया की बर्फीली पहाड़ियों पर
हिम तेंदुओं के संरक्षण को विकास प्रोजेक्ट अंतिम दौर में है
इस संबंध में मुख्य वन संरक्षक कुमाऊं राजेंद्र सिंह बिष्ट ने बताया कि यूनाइटेड नेशन की दिल्ली स्थित शाखा में हिम तेंदुओं के संरक्षण को विकास प्रोजेक्ट अंतिम दौर में है। इसके बाद ही खर्च का ब्योरा तैयार किया जा सकेगा। यूएनडीपी के तहत उत्तराखंड में बागेश्वर, पिथौरागढ़, चमोली व उत्तरकाशी के उच्च हिमालयी क्षेत्रों में हिम तेंदुओं के वास स्थल चिह्नित कर उन्हें माकूल बनाने की योजना है। इसके बाद देश के अन्य हिमालयीय राज्यों को भी प्रोजेक्ट में शामिल करने का प्लान है।
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