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फास्ट फूड बना रहा पहाड़ को रोगी

चंदन नेगी, अल्मोड़ा: सेहत की दृष्टि से बेहद अनुकूल समझे जाने वाला पहाड़ अब बीमारियों से घिरने लगा है।

By Edited By: Published: Mon, 24 Nov 2014 11:01 PM (IST)Updated: Mon, 24 Nov 2014 11:01 PM (IST)
फास्ट फूड बना रहा पहाड़ को  रोगी

चंदन नेगी, अल्मोड़ा: सेहत की दृष्टि से बेहद अनुकूल समझे जाने वाला पहाड़ अब बीमारियों से घिरने लगा है। फास्ट फूड के प्रचलन ने पहाड़ को रोगी बना दिया है। गैर संचारी रोगों (जो रोग फैलते नहीं) की राष्ट्रीय कार्यक्रम के तहत चल रही स्क्रीनिंग के पायलट प्रोजेक्ट के आंकड़े चिंताजनक तस्वीर पेश कर रहे हैं। एक समय में पहाड़ में ब्लड प्रेशर व डायबिटीज के गिने-चुने मामले आते थे, अब संख्या हजारों का आंकड़ा पार कर गई है।

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पायलट प्रोजेक्ट के तहत चल रही डायबिटीज (शुगर) व ब्लड प्रेशर (हाइपरटेंशन) की स्क्रीनिंग अभियान के लिए अल्मोड़ा व नैनीताल जिले चयनित हैं। स्क्रीनिंग के पहले चरण में ही चिंताजनक स्थितियां सामने आई हैं। यह स्क्रीनिंग 30 साल से अधिक उम्र के लोगों की है। स्वास्थ्य महकमे के आंकड़ों के अनुसार अल्मोड़ा जनपद में ही वर्ष 2012 से गत सितंबर, 2014 तक 2.79 लाख लोगों में डायबिटीज की जांच की गई, इसमें से 7075 लोग पॉजिटिव पाए गए। वहीं करीब दो लाख लोगों का ब्लड प्रेशर चेक किया गया, जिसमें 6564 लोग पॉजिटिव मिले। चिकित्सकों के अनुसार यह बीमारियां खास तौर पर अधेड़ या बुढ़ापे की समझी जाती हैं और पहाड़ में चुनिंदा लोगों में ही लगभग 50 साल से ऊपर की उम्र में लक्षण देखे जाते थे। शोचनीय स्थिति यह है कि इस स्क्रीनिंग में पॉजिटिव पाए गए लोगों में से कई लोग 30 से 50 साल के बीच की उम्र के हैं। स्वास्थ्य महकमे का अनुमान है कि कुमाऊं में हाइपरटेंशन व शुगर के रोगियों की संख्या उससे कई गुना ज्यादा है।

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खानपान के तौर तरीकों में बदलाव, फास्ट फूड के बढ़ते प्रचलन, प्रदूषण में बढ़ोत्तरी व भागमभाग की जिंदगी, हाइपरटेंशन व डायबिटीज की मुख्य वजह है। डॉ. पीके उप्रेती, नोडल अधिकारी

पहाड़ में डायबिटीज व ब्लड प्रेशर की बढ़ती शिकायतें अच्छा संकेत नहीं है। रोजाना उनके पास इन रोगों से ग्रसित 10 से 25 मरीज तक आते हैं, यहां तक कि 16 से 30 साल तक की उम्र के युवाओं में भी लक्षण देखे गए हैं। डॉ. एनएस चौहान, वरिष्ठ फिजीशियन

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अभी स्क्रीनिंग का काम जारी है। आंकड़े जुटाए जा रहे हैं, मगर इनमें इजाफा ही देखने में आ रहा है। बढ़ते आंकड़े वास्तव में चिंता रेखा ही खींच रहे हैं। आम तौर पर यह बीमारियां मौजूदा दौर में सामान्य श्रेणी में मानी जा रही हैं, मगर इनके दुष्प्रभाव घातक हैं। --डॉ. एके सिंह, अपर मुख्य चिकित्साधिकारी


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