विरोध ने रोका क्रीड़ांगन में निर्माण कार्य
संवाद सहयोगी, अल्मोड़ा : लोअर माल रोड पर डायट मैदान पर सरकारी निर्माण अल्मोड़ा विकास मंच के विरोध के ब
संवाद सहयोगी, अल्मोड़ा : लोअर माल रोड पर डायट मैदान पर सरकारी निर्माण अल्मोड़ा विकास मंच के विरोध के बावजूद थम गया। यहां बन रहा डायट का बहुद्देश्यीय भवन अब अन्यत्र बनेगा। इस कारण लोअर माल रोड पर प्रस्तावित चक्काजाम व धरना टल गया। बहरहाल प्रशासनिक अधिकारियों ने मौके पर जाकर मंच के पदाधिकारियों से वार्ता कर समझौता किया।
मामले के मुताबिक लोअर माल रोड पर डायट के अंतर्गत खेल मैदान है। इसको पूर्व में दो मुख्यमंत्री इसे मिनी स्टेडियम बनाने की घोषणा कर चुके हैं। मगर इधर डायट ने 31 लाख से अपना बहुद्देश्यीय भवन बनाने निर्णय लिया और पिछले कुछ समय से इसका निर्माण कार्य शुरू कर डाला। यह देख अल्मोड़ा विकास मंच ने इस निर्माण का विरोध शुरू कर दिया और गत सात अप्रैल को मौके पर एक दिनी धरना देते हुए आज रविवार को चक्काजाम का एलान किया था। मंच का कहना है कि अल्मोड़ा में खेल मैदान की नितांत आवश्यकता है और डायट द्वारा इस खेल मैदान से खिलाड़ियों को महरुम किया जा रहा है। मगर इससे पहले प्रशासन सतर्क हो गया। एडीएम कैलाश सिंह टोलिया, डायट के प्राचार्य डॉ. राजेंद्र सिंह, कोतवाल उत्तम सिंह व निर्माण एजेंसी के अधिकारी व अन्य लोग वार्ता को पहुंचे।
मंच के संयोजक बिट्टू कर्नाटक समेत अन्य लोगों ने मिनी स्टेडियम के बनाने के बजाय स्टेडियम से वंचित करने के प्रयास का विरोध किया। वार्ता में तय हुआ कि अब मैदान में निर्माण नहीं होगा और बहुद्देश्यीय भवन निर्माण के लिए हुई कटिंग से निकले मलबे को शीघ्र मैदान से हटा दिया जाएगा। भवन निर्माण के लिए डायट परिसर में ही अन्य जगह चिह्नित कर ली गई है। इसके बाद मंच मान गया और चक्काजाम स्थगित कर दिया गया। इस मौके पर रजनीश कर्नाटक, मदन मोहन कर्नाटक, शालिनी कर्नाटक, सरस्वती कर्नाटक, यतिन जोशी, दीपेश जोशी, अशोक जोशी, पूजा नयाल, करन कर्नाटक समेत कई लोग मौजूद थे।
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दो मांगों को दिए तीन माह
अल्मोड़ा: अल्मोड़ा विकास मंच ने वार्ता के दौरान दो मांगें और रखी। संबंधित ज्ञापन एडीएम को सौंपा। जिसमें मांग रखी कि भवन निर्माण का आदेश देने वाले अधिकारी और इसमें लिप्त अन्य अधिकारी भविष्य में ऐसा कृत्य नहीं करें, इसके लिए विभागाध्यक्ष को निर्देश निर्गत किए जाएं और क्रीड़ा स्थल को मिनी स्टेडियम बनाया जाय। इन मांगों की पूर्ति के लिए तीन माह का वक्त दिया है। ऐसा नहीं होने पर चक्काजाम व आमरण अनशन की धमकी दी है।