आदेश हवा, आब-ओ-हवा धुंआ-धुंआ
सर्वेश तिवारी, अल्मोड़ा पर्यटन एवं सांस्कृतिक नगरी अल्मोड़ा में एक से बढ़कर एक एतिहासिक धार्मिक स्थ
सर्वेश तिवारी, अल्मोड़ा
पर्यटन एवं सांस्कृतिक नगरी अल्मोड़ा में एक से बढ़कर एक एतिहासिक धार्मिक स्थलों की भरमार है। एतिहासिक धरोहर के साथ वादियों से हिमालय दर्शन बरबस की देसी-विदेशी पर्यटकों को इस पावन धरती पर खींच लाते, लेकिन यहां आकर शायद इनकी राय बदल जाती है। वजह यहां की गंदगी। प्रशासन ने एनजीटी के आदेशों को हवा में उड़ा दिया है और इसकी वजह से यहां की आब-ओ-हवा में धुंआ ही धुंआ है।
अल्मोड़ा शहर से महज 10 किमी दूर स्थित गोलू देवता का प्रसिद्ध चितई मंदिर। जहां हमेशा भक्तों का तांता रहता है। यहां कूड़ा निस्तारण की कोई व्यवस्था नहीं। मंदिर के पास बड़ा बाजार है और मैरिज हॉल है। जिनसे निकलने वाला सारा कूड़ा मंदिर के ठीक पीछे फेंका जाता है। यहां आने वाले पर्यटक चितई से लगभग 25 किमी दूर स्थित प्रसिद्ध जागेश्वर धाम भी जाते है, लेकिन यहां पहुंचने के लिए पर्यटकों को दुश्वारियां झेलनी होती है। अल्मोड़ा शहर से निकलते ही एक है बलढौती स्थान। जहां वन विभाग ने पर्यटन स्थल भी बना रखा है, लेकिन इसी पर्यटन स्थल के बाद अल्मोड़ा शहर का सारा कूड़ा फेंका जाता है। जो लगातार जलता रहता है। कूड़े को पर्यटकों की निगाह से बचाने के लिए इन्हें टीन से ढका गया, लेकिन बदबू से पर्यटक बच नहीं पाता और अगर वह गलती से यहां रुक जाए तो मक्खियां हमला बोल देती है। साफ बात की जाए तो प्रशासन के पास शहर या गांव से निकलने वाले कूड़े को ठिकाने लगाने का कोई इंतजाम नहीं है।
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कूड़ा निस्तारण के लिए ट्चिंग ग्राउंड की जमीन हमे मिल चुकी है। 8-10 दिन में सात लाख रुपये वन विभाग को हस्तांतरित कर दिया जाएगा। इसके बाद एक-दो काम और बचेंगे। हालांकि यह बड़े नहीं है और जल्द ही ट्रंचिंग ग्राउंड बनाने का काम शुरू कर दिया जाएगा।
प्रकाश चंद्र जोशी, नगर पालिका अध्यक्ष
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पेड़ के सीने में ठोंक दी कील
प्रशासन एनजीटी के नियमों की तो धज्जिायां उड़ा ही रहा है, साथ ही वन विभाग के नियमों को भी धता बता दिया है। बलठौती में जिस स्थान पर कूड़ा फेंका और जलाया जा रहा है वह सड़क के ठीक किनारे है। सड़क किनारे प्रशासन ने पेड़ों के सहारे एक टीन की दीवार बनाई है। टीन की यह दीवार टिकी रहे इस लिए प्रशासन ने टीन के साथ पेड़ों के सीने में कील ठोंक दी है। यह पेड़ सूखे नहीं है बल्कि हरे-भरे है।
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सालों से संजोए बैठे हैं एक आस
ऐसा नहीं है कि प्रशासन कूड़े को ठिकाने लगाने के लिए प्रयासरत नहीं है, लेकिन यह प्रयास आज भी अधूरा है। सालों पहले शहर में ट्रंचिंग ग्राउंड की तलाश शुरू की गई थी, लेकिन इसके लिए जमीन ही नहीं मिल पाई। अब जिस स्थान पर कूड़ा डाला जजा रहा है, वहीं ट्रंचिंग ग्राउंड बनाने की तैयारी है। जमीन मिल चुकी है और हस्तांतरण का पैसा जमा करने के साथ कुछ और कार्रवाइयां बाकी है। जिसके बाद काम शूरू कर दिया जाएगा।