थमे सौ डंपरों के पहिए, डेढ़ हजार श्रमिक बेकार
जागरण टीम, रानीखेत : प्रदेश में उपखनिजों के खनन में पूरी तरह प्रतिबंध संबंधी हाईकोर्ट के महत्वपूर्ण
जागरण टीम, रानीखेत : प्रदेश में उपखनिजों के खनन में पूरी तरह प्रतिबंध संबंधी हाईकोर्ट के महत्वपूर्ण फैसले से कोसी घाटी में डंपरों के टायर थम गए हैं। हालांकि उच्च न्यायालय के इस आदेश से उन गांवों के बाशिंदों ने राहत की सांस ली है जहां पट्टों की आड़ में सफेद सोने के काले कारोबार से साल दर साल कृषि भूमि बाढ़ में समाने लगी थी। अलबत्ता खनन पर पाबंदी व नए पट्टों पर रोक से घाटी में करीब डेढ़ हजार श्रमिक बेरोजगार भी हो गए हैं।
वैध व अवैध खनन के लिए कोसी घाटी कुख्यात रही है। रेता बजरी के खेल में वर्चस्व की जंग भी तेज होने लगी थी। कुछ माह पूर्व बेतालघाट क्षेत्र में अवैध रूप से खनन के विरोध में ग्रामीणों का मुखर होना। बाद में तस्करों की ओर से फायरिंग मामला खासा सुर्खियों में रहा था। वहीं वर्धो, बढेरी आदि इलाकों में पट्टों की आड़ में अवैध खनन से कोसी नदी का रुख मुड़ने लगा था। वहीं बरसात में बाढ़ के दौरान प्रत्येक वर्ष कई हेक्टेयर कृषि भूमि तबाह हो रही थी।
मंगलवार को हाईकोर्ट का खनन पर प्रतिबंध तथा नए पट्टों पर रोक संबंधी आदेश से जहां रोजाना दौड़ने वाले लगभग सौ डंपरों के पहिये थम गए। वहीं एक से डेढ़ हजार श्रमिकों पर बेरोजगारी की मार भी पड़ी है। एसडीएम कोश्या कुटौली प्रमोद कुमार के अनुसार कोसी घाटी में वर्धो से बेतालघाट तक तकरीबन 18 किमी के दायरे में 16 वैध पट्टे थे। इनमें दो सरेंडर किए जा चुके थे। वर्तमान में 14 पट्टों से खनन किया जा रहा था। इससे इतर लगभग छह स्थानों से अवैध खनन धड़ल्ले से चल रहा था। उधर रानीखेत क्षेत्र की कुजगढ़ नदी क्षेत्र में एक पट्टा वैध था। यहां 15-16 श्रमिक काम पर थे।