समाज में लोक साहित्य अहम्: मदनावत
संवाद सहयोगी, अल्मोड़ा: कुमाऊं विवि के एसएसजे कैंपस के इतिहास विभाग के तत्वावधान में चले 'लोक साहित्य
संवाद सहयोगी, अल्मोड़ा: कुमाऊं विवि के एसएसजे कैंपस के इतिहास विभाग के तत्वावधान में चले 'लोक साहित्य एवं भारतीय संस्कृति' विषयक अंतरराष्ट्रीय सेमीनार में दूसरे व अंतिम रोज सोमवार को मुख्य अतिथि राजस्थान विवि के प्रो. एवीएस मदनावत ने लोक साहित्य की विशेषताओं पर प्रकाश डालते हुए कहा कि वर्तमान में समाज में लोक साहित्य की अहम् भूमिका है और युवा पीढ़ी को लोक साहित्य से हर हाल में जोड़ना होगा।
परिसर निदेशक प्रो. आरएस पथनी ने युवाओं का आह्वान किया कि वे लोक संस्कृति व लोक साहित्य से विमुख होने से बचें। उन्होंने मानवीय संवेदनाओं के संरक्षण में लोक साहित्य की अहम् भूमिका है। संकायाध्यक्ष प्रो. एसए हामिद ने शायराना अंदाज में कहा कि लोक साहित्य को मनुष्य जीन का अभिन्न अंग बनना चाहिए। अध्यक्षता करते हुए प्रो. आराधना शुक्ला ने कहा कि हमें लोक साहित्य और आधुनिकता के बीच तालमेल बिठाकर चलना होगा। इस दो दिवसीय सेमीनार में विविध सत्रों में 250 शोध पत्र प्रस्तुत हुए। समापन पर विशेषज्ञों ने इस बात कि अनुशंसा की कि लोक साहित्य और भारतीय संस्कृति का एक नया विभाग कुमाऊं विवि में स्थापित होना चाहिए। सेमिनार के दौरान एक चित्रकला व इतिहास से संबंधित प्रदर्शनी भी लगाई गई। जिसका तमाम लोगों ने अवलोकन किया। अंत में निदेशक प्रो. सीएम अग्रवाल व सचिव प्रो. संजय टम्टा ने सभी आगंतुकों का आभार जताया। कार्यक्रम में प्रो. शेखर चंद्र जोशी, डॉ. सोनू द्विवेदी, डॉ. संजीव आर्या, डॉ. राकेश फकलियाल, डॉ. सीपी फुलोरिया, डॉ. अखिलेश नवीन, डॉ. एचसी जोशी, ललित आर्या, पवनेश ठकुराठी समेत कई शिक्षक व छात्र उपस्थित थे।