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बहुपयोगी बुरांश बनेगा स्वरोजगार का आधार

डीके जोशी, अल्मोड़ा : देवभूमि उत्तराखंड के पर्वतीय अंचल में खिलने वाला बुरांश केवल वनों का सौंदर्य ही

By JagranEdited By: Published: Mon, 27 Mar 2017 01:00 AM (IST)Updated: Mon, 27 Mar 2017 01:00 AM (IST)
बहुपयोगी बुरांश बनेगा स्वरोजगार का आधार
बहुपयोगी बुरांश बनेगा स्वरोजगार का आधार

डीके जोशी, अल्मोड़ा : देवभूमि उत्तराखंड के पर्वतीय अंचल में खिलने वाला बुरांश केवल वनों का सौंदर्य ही नहीं बल्कि यह मानव को स्वरोजगार के साथ ही औषधि भी प्रदान करता है। इसके फूलों से बनने वाला शर्बत हृदय रोगियों के लिए बेहद फायदेमंद है। वहीं मांसपेशियों के दर्द को दूर करने में भी सहायक होता है। बहुउपयोगी यह वृक्ष 1500 मीटर से 3600 मीटर की ऊंचाई में पाया जाता है। बुरांश को स्वरोजगार से जोड़ने के लिए उद्यान व फल प्रसंस्करण विभाग जुटा हुआ है।

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बुरांश के वृक्ष में फरवरी माह के मध्य के पश्चात फूल खिलने आरंभ हो जाते हैं। अप्रैल माह तक यह प्रकृति में अपनी अनुपम छटा बिखेरते हैं। साथ ही लोगों को बरबस अपनी ओर आकर्षित करते हैं। बुरांश की 700 प्रजातियां बीजों से उगाई जाती है। इनमें से 200 प्रजातियां फूलवारियों, क्यारियों व उपवनों में उगाई जाती है। लाभकारी बुरांश का वृक्ष के फूलों का उपयोग जूस, स्क्वैश, जेम व जैली बनाने में किया जाता है। इसके फूलों का स्वाद खट्टा-मीठा होता है। इसकी ताजी पत्तियां पुल्टिश बनाने के काम आती है, जिनका उपयोग सिर और मांसपेशियों के दर्द दूर करने में होता है। इसका शर्बत हृदय रोग में भी लाभकारी माना गया है। दिन में एक बार इसका सेवन करने से भूख भी बढ़ती है।

बुरांश का वृक्ष लघु कुटीर उद्योगों के विकास में भी सहायक है। इसकी गिरी हुई पत्तियों से जैविक खाद तैयार की जाती है, जो पर्वतीय अंचल में रबी व खरीफ खेती के लिए बेहतर उर्वरक का काम करता है।

यह वृक्ष जनवरी से अप्रैल माह तक बेरोजगारों के लिए स्वरोजगार के भी द्वार खोलता है। जिससे बेरोजगारों का जीवन स्तर सुधरता है। बेरोजगारों की आर्थिक उन्नति के साथ ही राष्ट्रीय आय में भी वृद्धि होती है। इसकी मध्य हिमालयी क्षेत्र में सिनामोमियम उप प्रजाति पाई जाती है। जिसमें सफेद फूल खिलता है। यह पेट संबधी रोग के लिए रामबाण माना जाता है। इसकी लकड़ी का प्रयोग चारकोल व ईधन बनाने में होता है। इन सब खूबियों के चलते इसे उत्तराखंड के राज्य वृक्ष होने का गौरव प्राप्त है। वासंतिक नवरात्र में इसी फूल को देवी मंदिरों में चढ़ाकर मां दुर्गा का स्तुतिगान किया जाता है।

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कवि सुमित्रानंदन पंत ने दर्शायी महिमा

अल्मोड़ा : प्रसिद्ध छायावादी कवि सुमित्रानंदन पंत ने अपनी काव्य रचना में बुरांश के फूल की महिमा का वर्णन किया है। उन्होंने अपनी कुमाऊंनी काव्य रचना में बुरांश पर काव्य रचना करते हुए कहा है कि सार जंगल में त्वी जस क्वे न्हां रे.. कहकर जंगल का सबसे अच्छा व सबसे सुंदर फूल की संज्ञा दी है।

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बुरांश को स्वरोजगार से जोड़ने के लिए उद्यान व फल संरक्षण विभाग योजना चला रहा है। इसके तहत महिलाओं को जिले में स्थापित फल संरक्षण केंद्रों ताकुला, द्वाराहाट, ताड़ीखेत, भिकियासैंण, रानीखेत व अल्मोड़ा में विशेष प्रशिक्षण दिया जाता है। इसके तहत उन्हें बुरांश की पंखुड़ियों का जूस बनाने की बारीकियां तथा इसके महत्व के बारे में बताया जाता है।

- भावना जोशी, जिला उद्यान अधिकारी, अल्मोड़ा

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लाभकारी वृक्ष बुरांश का वानस्पतिक नाम रोडो डेंड्रन आरबोरियम है। यह इरीकेसी परिवार का वृक्ष है। इसकी आर आर्पोरियम प्रजाति कुमाऊं व गढ़वाल के हिमालयी क्षेत्रों में प्रचुर मात्रा में पायी जाती है। इसकी सूखी पंखुड़ियों का भी उपयोग होता है, डिसेंट्री रोग में इसकी सूखी पंखुड़ियों को पानी के साथ सेवन करने से काफी लाभ मिलता है। गर्मी के मौसम में इसका जूस मानव को शीतलता प्रदान करता है।

-प्रो. पीसी पांडे, वरिष्ठ वनस्पति विज्ञानी


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