पीपीपी मोड का मर्ज, आम मरीज पस्त
संवाद सहयोगी, चौखुटिया : प्रदेश सरकार पांच साल का एक और कार्यकाल पूर्ण हो गया है, लेकिन गांवों में स
संवाद सहयोगी, चौखुटिया : प्रदेश सरकार पांच साल का एक और कार्यकाल पूर्ण हो गया है, लेकिन गांवों में स्वास्थ्य सुविधाओं की बेहतरी के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए। लिहाजा आज भी तमाम गांवों में स्वास्थ्य सुविधाओं का बुरा हाल है। कई अस्पताल तो महल रेफर सेंटर बन कर रह गए हैं। नतीजा आम मरीज शहरों में स्थित अस्पतालों की ओर रुख करने को विवश हैं।
यही हाल चौखुटिया विकास खंड का है। बेशक मरीजों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया कराने के लिए तीन वर्ष पूर्व सीएचसी चौखुटिया का संचालन पीपीपी मोड के अंतर्गत शील नर्सिग होम बरेली को दे दिया गया, इसके बाद टेक्नीकल व नान टेक्नीकल स्टाफ में इजाफा तो हुआ, मगर सुविधाओं का विस्तार नहीं हो सका। ऐसे में मरीजों को इसका कुछ भी लाभ नहीं मिल सका।
चिकित्सालय आज भी महज दो सरकारी डॉक्टरों के सहारे चल रहा है। सुविधाएं न होने से सभी रोगियों को बाहर के लिए रेफर कर देना आम बात है। एक साल पूर्व यहां स्थापित अल्ट्रासाउंड मशीन रेडियोलाजिस्ट की तैनाती न होने से बंद पड़ा है। अस्पताल को पीपीपी मोड से मुक्त करने के लिए धरना-प्रदर्शन व आंदोलन भी हुए, मगर सरकार व स्वास्थ्य महकमे ने जनता की सुध नहीं ली।
यहां तक कि सीएम का आश्वासन भी कोरा साबित हुआ। पीपीपी मोड में हर माह सरकार 24-25 लाख की धनराशि खर्च कर रही है। ऐसे में सरकार के प्रति आम जनता के मन में सवाल उठना लाजिमी है। आसन्न विधानसभा चुनाव में इस समस्या को लेकर लोग सवाल खड़ा करने लगे हैं। चुनाव लड़ने वाले प्रतिनिधियों के सामने भी यह ज्वलंत समस्या मुख्य रूप से सामने आएगी।