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अल्मोड़ा के आसमान पर बगावत के बादल

जागरण संवाददाता, अल्मोड़ा : अल्मोड़ा में राजनीति का आसमान विरोध के बदरा से घिर चुका है। अल्मोड़ा, रानीख

By Edited By: Published: Tue, 17 Jan 2017 06:20 PM (IST)Updated: Tue, 17 Jan 2017 06:20 PM (IST)
अल्मोड़ा के आसमान पर बगावत के बादल
अल्मोड़ा के आसमान पर बगावत के बादल

जागरण संवाददाता, अल्मोड़ा : अल्मोड़ा में राजनीति का आसमान विरोध के बदरा से घिर चुका है। अल्मोड़ा, रानीखेत और जागेश्वर में घनघोर बारिश की पूरी संभावना है और जाहिर है कि अगर यह बारिश हुई तो जहां अल्मोड़ा और रानीखेत में भाजपा का कमल मुरझा सकता है। जबकि सोमेश्वर में भाजपा विरोधियों के स्वर भी मुखर है और माना जा रहा है कि इससे सीधे तौर पर कांग्रेस को लाभ होगा।

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टिकट वितरण के बाद से पूरी तरह शांत दिख रहे अल्मोड़ा के पूर्व विधायक कैलाश शर्मा के मुंह से बोल फूटे तो दिल के गुबार बाहर निकल आए। दिल्ली से लौट रहे कैलाश शर्मा ने बताया कि उन्हें भरोसा ही नहीं हो रहा कि केंद्र ने क्या सोचकर आखिर तीसरी बार उन्हें टिकट दे दिया। जबकि लगातार उन्हें हार का मुंह देखना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि वह अल्मोड़ा लौट रहे है और अपने लोगों व समर्थकों के साथ बैठ कर बात करेंगे। जो लोगों का फैसला होगा वहीं करूंगा।

अब बता दें कि वर्ष 2002 में कैलाश शर्मा भाजपा के टिकट से चुनाव लड़े थे और उनके खिलाफ कांग्रेस से मनोज तिवारी थे। इस चुनाव में कैलाश को 10224 मत मिले और उन्होंने करीब दो हजार वोट से मनोज को शिकस्त दी। जबकि इसी वर्ष जागेश्वर सीट पर बीजेपी से रघुनाथ सिंह चौहान कांग्रेस के गोविंद सिंह कुंजवाल के खिलाफ थे और रघुनाथ सिंह चौहान को भी करीब दो हजार वोट से हार का सामना करना पड़ा था। वर्ष 2007 में अल्मोड़ा से कैलाश और जागेश्वर से दोबारा रघुनाथ सिंह चौहान को हार देखनी पड़ी।

बात 2012 के चुनाव की करें तो इस चुनाव में परिसीमन बदल चुके थे। दो बार जागेश्वर से हार चुके रघुनाथ सिंह चौहान पर भारतीय जनता पार्टी ने भरोसा दिखाते हुए इस साल अल्मोड़ा से प्रत्याशी घोषित कर दिया और यह बात कैलाश को अखर गई। चुनाव की तैयारी कर चुके कैलाश ने भाजपा में रहते हुए भाजपा प्रत्याशी रघुनाथ के खिलाफ निर्दलीय चुनाव लड़ा। ऐसे में रघुनाथ को हार मिली और मनोज तिवारी को दोबारा अल्मोड़ा का सिंहासन मिला। निर्दलीय लड़ने के बावजूद कैलाश को तकरीबन नौ हजार वोट मिले और एक बार 2012 वाली संभावना 2017 में बनती दिखाई दे रही है।

इधर, रानीखेत विधानसभा क्षेत्र में भी दंगल मचा है। भाजपा से प्रमुख दावेदार माने जा रहे प्रमोद नैनावाल ने भी टिकट न मिलने पर भाजपा के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। उन्होंने मंगलवार का प्रदेश कार्यालय को अपना इस्तीफा भेज दिया और बताया कि वह अब निर्दलीय चुनाव लड़ेंगे। जाहिर तौर पर इससे सीधे भाजपा को ही नुकसान होगा। जबकि सोमेश्वर में भी विरोध के बादल अंदरखाने गरज रहे है।

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पुराने कांग्रेसी ने कुंजवाल को ललकारा

सोमवार तक गोविंद सिंह कुंजवाल के मिल मुफीद मानी जा रही जागेश्वर सीट पर भी संकट के बादल मडराने लगे है। कुंजवाल को उन्हीं की पार्टी कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मोहन सिंह मेहरा ने ललकारा है। पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष रहे मोहन सिंह मेहरा की पत्‍‌नी पार्वती मेहरा इस बार जिला पंचायत अध्यक्ष है। इससे पहले वह कांग्रेस सेवादल के जिलाध्यक्ष, कांग्रेस कोषाध्यक्ष, तीन बार ग्राम प्रधान, क्षेत्र पंचायत सदस्य, जिला पंचायत सदस्य रह चुके है। महरा का जागेश्वर विधानसभा क्षेत्र में खासा दखल माना जाता है। उन्होंने अभी पार्टी छोड़ने की बात तो नहीं कही है, लेकिन उन्होंने कहा है कि वह पिछले 40 साल से पार्टी की सेवा कर रहे है। इसलिए पार्टी के टिकट पर उनका हक बनता है। यदि पार्टी हाईकमान उन्होंने जागेश्वर विधानसभा से टिकट नहीं देता है तो 25 जनवरी को वह निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में भारी संख्या में अपने समर्थकों के साथ नामांकन कराएंगे।


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