खैरखेत में धरने पर उतरे गुस्साए ग्रामीण
संवाद सहयोगी, अल्मोड़ा: भैसियाछाना ब्लाक के आपदाग्रस्त गावों बूढ़ाधार, खैरखेत व ल्वेटा के विस्थापन का
संवाद सहयोगी, अल्मोड़ा: भैसियाछाना ब्लाक के आपदाग्रस्त गावों बूढ़ाधार, खैरखेत व ल्वेटा के विस्थापन का मामला सालों से लटके होने क्षेत्र के ग्रामीणों का गुस्सा फूट पड़ा है। क्षेत्र के लोग रीठागाड़ संघर्ष समिति के बैनर तले सोमवार को आंदोलन पर उतर आए। उन्होंने सेराघाट के निकट खैरखेत में धरना आरंभ कर दिया है। साथ ही हंगामी सभा कर तीन दिन के अंदर मामले पर सकारात्मक कार्रवाई करने की मांग उठा दी है।
पूर्व निर्धारित कार्यक्रमानुसार सोमवार को क्षेत्र के लोग रीठागाड़ संघर्ष समिति के बैनर तले वर्ष 2010 में आपदा की भेंट चढ़े विकासखंड भैसियाछाना के बूढ़ाधार, खैरखेत, ल्वेटा के प्रभावित लोगों का विस्थापन नहीं होने से खैरखेत में धरने पर उतर आए। इसमें बूढ़ाधार, खैरखेत, ल्वेटा, कनारीछीना, मंगलता, नौगांव आदि गांवों के ग्रामीणों हिस्सा ले रहे हैं। हंगामी सभा में वक्ताओं ने कहा कि वर्ष 2010 की आपदा में उक्त गांवों कहर बरपा, कई घर टूट गए। कई परिवार बेघर हो गए। कुल 56 परिवारों के विस्थापन की कार्रवाई आरंभ की गई। मगर छह साल बीतने पर भी कुछ नहीं हो पाया और ये परिवार संकट में ही रह गए। उनकी सुध नहीं ली जा रही। चेतावनी दी कि तीन दिन के अंदर शासन-प्रशासन ने कोई कोई कार्यवाही नहीं की, तो आंदोलन को उग्र बनाया जाएगा और सड़क में जाम लगाया जाएगा। धरना स्थल पर पहुंचे ब्लाक प्रमुख हरीश बनौला ने कहा कि विस्थापन का मामला राज्य सरकार ने केंद्र को भेजा है। संघर्ष समिति के अध्यक्ष आनंद बिष्ट ने कहा कि आपदा प्रभावित लोगों को शासन-प्रशासन गुमराह कर रहा है। धरने में कांग्रेस श्रम प्रकोष्ठ अध्यक्ष बसंत सिंह नेगी, जिपं सदस्य हरीश राम टम्टा, क्षेत्र पंचायत सदस्य रवि आर्या, संतोष कुमार, आनंद राम, मनोज कुमार, गोविंद राम, पप्पू राम, माथुर राम, राजेंद्र प्रसाद, धीरज कुमार। संचालन समिति के सचिव शिवमंगल पांडे ने किया। इधर समिति ने पूर्व से ही चेतावनी दी थी, मगर कोई पहल या वार्ता उनसे नहीं हुई।