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तो खत्म होगा दूनागिरि ट्रस्ट का वजूद!

संवाद सहयोगी, द्वाराहाट : आदि शक्ति मां दूनागिरि ट्रस्ट का वजूद समाप्त हो जायेगा! अनशन स्थल से मु

By Edited By: Published: Sat, 27 Aug 2016 07:48 PM (IST)Updated: Sat, 27 Aug 2016 07:48 PM (IST)
तो खत्म होगा दूनागिरि ट्रस्ट का वजूद!

संवाद सहयोगी, द्वाराहाट : आदि शक्ति मां दूनागिरि ट्रस्ट का वजूद समाप्त हो जायेगा! अनशन स्थल से मुख्यमंत्री से वार्ता कर विधायक मदन बिष्ट ने कुछ यही संकेत दिये हैं। भरोसा दिलाया कि पखवाड़ा के भीतर मंदिर में प्रशासक नियुक्त कर दिया जायेगा। इसी लिखित आश्वासन पर ट्रस्ट के खिलाफ पिछले 16 दिनों से चल रहा आदोलन समाप्त कर दिया गया है। हालांकि संघर्ष समिति ने दो टूक कहा है कि यदि वादाखिलाफी हुई तो सीधे आमरण अनशन शुरू कर दिया जायेगा।

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शीतला पुष्कर मैदान स्थित अनशन स्थल पर बीती देर रात विधायक मदन बिष्ट पहुंचे। उन्होंने संघर्ष समिति सदस्यों से लंबी वार्ता के बाद देहरादून मुख्यमंत्री हरीश रावत से फोन पर वार्ता की। सीएम की सहमति के आधार पर विधायक ने लिखित आश्वाशन दिया कि ट्रस्ट को हटा 15 दिन के भीतर मंदिर में प्रशासक नियुक्त कर दिया जायेगा। साथ ही अब तक हुई अनियमितताओं की जाच कराई जायेगी। यह भी भरोसा दिलाया कि समिति के लोगों पर दर्ज मुकदमे खारिज कराये जायेंगे। इस पर संघर्ष समिति ने आदोलन के साथ ही छह दिन से चला आ रहा क्रमिक अनशन समाप्त करने का निर्णय लिया। विधायक बिष्ट ने हीरा सिंह व जगदीश साह को जूस पिला अनशन तुड़वाया।

हालांकि इसके बाद संघर्ष समिति ने साफ किया कि तय समयावधि के भीतर यदि ट्रस्ट को समाप्त कर प्रशासक नियुक्त न किया गया तो पुन: आदोलन खड़ा कर आमरण अनशन शुरू कर दिया जायेगा। वार्ता में पूर्व विधायक पुष्पेश त्रिपाठी, तहसीलदार राजेंद्र नेगी, एसओ चंद्र मोहन के साथ ही संघर्ष समिति अध्यक्ष विनोद भट्ट, सचिव जगदीश सिंह रौतेला, जगत सिंह रौतेला, जगदीश भट्ट, हेम रावत, प्रकाश अधिकारी, गोविंद लाल साह आदि मौजूद रहे।

क्या है पूरा मामला

वर्ष 2003 में मां दूनागिरि मंदिर ट्रस्ट अस्तित्व मं आया। पहले वर्षो से मंदिर समिति ही पूरी व्यवस्था देखती थी। वर्ष 2007-08 में विवाद शुरू हुआ। समिति ने ट्रस्ट को निजी करार देते हुए स्वयंभू होने का आरोप लगाया। तब से मामला सुलगता रहा। मामला बढ़ा तो इसी वर्ष अप्रैल में संयुक्त मजिस्ट्रेट रानीखेत फिर छह मई को डीएम ने जनप्रतिनिधियों व समिति सदस्यों की बैठक बुलाई। इसमें प्रशासन ने मौखिक तौर पर ट्रस्ट को अवैध माना। जांच के लिये तीन सदस्यीय कमेटी गठित की। आरटीआई के जरिये दो मई की जांच रिपोर्ट में संयुक्त मजिस्ट्रेट ने साफ किया है कि ट्रस्ट गठन की प्रक्रिया में प्रशासन का कोई प्रतिनिधि शामिल नहीं किया। अनुमोदन भी सक्षम अधिकारी से प्राप्त नहीं किया गया। इधर बीती 16 अगस्त तक रिपोर्ट सार्वजनिक न हुई तो संघर्ष समिति भड़क उठी। बीते रोज तहसीलदार को बैरंग लौटाने के बाद देर रात विधायक मदन के आश्वासन पर अनशन स्थगित।


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