ऐरोड़ के खेतों से बंगलुरु के एस्ट्रोटर्फ तक
दीप सिंह बोरा, रानीखेत बालमन में ही राष्ट्रीय खेल हॉकी के प्रति गहरा लगाव। जुनून इस कदर कि सेन
दीप सिंह बोरा, रानीखेत
बालमन में ही राष्ट्रीय खेल हॉकी के प्रति गहरा लगाव। जुनून इस कदर कि सेना व सिविल के बीच कोई मुकाबला नहीं छोड़ा। मैच देखने से ज्यादा हॉकी खेलने की तकनीक पर नजरें रहती। अग्रिम, मध्य व रक्षा पंक्ति के खिलाड़ियों का हुनर देख उन्हें ही अपना गुरु मान लिया। उन्हीं की उंगली पकड़ आगे निकलने के गुर सीखे। युवावस्था में स्कूल नेशनल से कॅरियर की शुरूआत के साथ उसने फिर पीछे मुड़ कर नहीं देखा। राष्ट्रीय जूनियर, कुमाऊं विवि नॉर्थ जोन, सीनियर नेशनल में तमाम मैच खेल चुका मध्य पंक्ति का यह बेहतरीन खिलाड़ी एनआईएस पास कर उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड से प्रतिभाएं तराशने की तैयारी में है।
यहां बात हो रही है रानीखेत के ऐरोड़ गांव के हॉकी खिलाड़ी दीपक सिंह मेहरा की। जिसने नगर क्षेत्र के जुनूनी खिलाड़ियों का हुनर देख स्टिक पकड़ी, और गेंद पर नियंत्रण की तकनीक भी सीखी। वर्ष 2008 में स्कूल नेशनल चैंपियनशिप (दिल्ली), 2009 में जूनियर नेशनल (पुणे), इसी साल कुमाऊं विश्वविद्यालय की नॉर्थ जोन (गुरुकुल कांगड़ी हरिद्वार) में हुनर का लोहा मनवाया। चार वर्ष तक नॉर्थ जोन चैंपियनशिप में चमक बिखरेने के बीच वर्ष 2012 में दीपक को सीनियर नेशनल चैंपियनशिप (बंगलुरु) में उत्तराखंड का प्रतिनिधित्व करने का मौका मिला।
2015 में इस युवा हॉकी खिलाड़ी का चयन नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ स्पोर्ट्स (एनआईएस) में चयन हुआ। खास बात कि एक वर्ष का कोर्स पूर्ण करने के साथ ही बंगलुरु में ही रियो ओलंपिक की तैयारी में जुटी भारतीय टीम के साथ दीपक को हॉकी खेलने व बेहतर तकनीक जबकि कोच रोलैंट ओल्टमैंस से कुशल प्रशिक्षक बनने के गुर सीखने का भी मौका मिला। बहरहाल, एनआईएस पास करने के बाद इस युवा प्रतिभा की तमन्ना भविष्य में राष्ट्रीय कोच के रूप में खासकर उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड से बेहतरीन खिलाड़ी तराशने की है। वहीं पहाड़ को भी मुद्दत बाद जल्द ही राष्ट्र स्तरीय प्रशिक्षक के तौर पर दीपक की तैनाती की उम्मीद जगी है।
साधारण परिवार से है दीपक
ऐराड़ निवासी पशुपालन विभाग में तैनात पिता पान सिंह मेहरा व गृहणी माता पुष्पा देवी के पुत्र दीपक कहते हैं, उन्हें नगर के सीनियर खिलाड़ियों खास कर राज्य स्तरीय रेफरी व पूर्व खिलाड़ी दीपक कनौजिया आदि ने काफी प्रोत्साहित किया। खुद को बतौर प्रशिक्षक फिट रखने के मकसद से ही 2012 में उसने गुरुकुल कांगड़ी हरिद्वार से बेचुलर ऑफ फिजिकल एजुकेशन (बीपीएड) व योग विषय से एमए भी किया है।