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गुलदार को ढेर करने के लिए शूटर ने संभाला मोर्चा

संवाद सहयोगी, चौखुटिया : विकास खंड अंतर्गत महाकालेश्वर-बैरती बैल्ट में आतंक का पर्याय बने गुलदार को

By Edited By: Published: Wed, 10 Feb 2016 05:36 PM (IST)Updated: Wed, 10 Feb 2016 05:36 PM (IST)
गुलदार को ढेर करने के लिए शूटर ने संभाला मोर्चा

संवाद सहयोगी, चौखुटिया : विकास खंड अंतर्गत महाकालेश्वर-बैरती बैल्ट में आतंक का पर्याय बने गुलदार को मार गिराने के मौखिक आदेश मिलने के बाद गैरसैंण के मशहूर व माहिर शूटर लखपत सिंह बुधवार को मैहलचौरा गांव पहुंचे। उन्होंने वन कर्मियों के साथ मार्चा संभाल लिया। रात को गुलदार पर नजर रखने के लिए गांव में पांच स्थानों पर नाइट विजन कैमरे लगाए हैं। घटनास्थल के पास मंगलवार देर रात वन विभाग पहले ही पिंजरा लगा चुका है।

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गुलदार ने सोमवार शाम मैहलचौरी गांव के नेगी बाखली निवासी भूपाल सिंह को मार डाला। मंगलवार दूसरे दिन गुलदार को मारने के लिए शूटर भेजने की मांग को लेकर ग्रामीणों ने महाकालेश्वर के पास राजमार्ग पर जाम लगाकर हंगामा किया। शाम को ग्रामीण ने एसडीएम हेमंत कुमार के लिखित आश्वासन पर जाम खोल दिया। बुधवार को शिकारी लखपत सिंह ने मौके पर पहुंच वन कर्मियों के साथ रात में पूरी तैयारी के साथ मोर्चा संभाल लिया। इसके लिए गांव के आसपास संभावित स्थलों पर नाइट विजन कैमरे लगाए गए हैं। साथ ही रात को सर्च लाइट से लोकेशन देखने, गुलदारों की संख्या नजर रखने और आदमखोर गुलदार को पहचानने के लिए तैयारी कर ली। इसके लिए ग्रामीणों से भी मदद ली जा रही है। लखपत सिंह के नेतृत्व में रात को टीम में डिप्टी रेंजर पीसी तिवारी, गोकुला नंद पांडे व खुशाल सिंह हैं। दो दिन पूर्व लगाए गए पिंजरे के पास गुलदार अभी आया भी नहीं है।

=इंसेट=

47 गुलदारों को ढ़ेर कर चुके लखपत

पेशे के शिक्षक और मूल रूप से गैरसैंण के निवासी शूटर लखपत सिंह रावत को घोषित आदमखोर गुलदारों को मार गिराने में महारत हासिल है। उनका निशाना अचूक है, जो अभी तक 47 आदमखोर बाघों को ढेर कर चुके हैं। इनमें कुमाऊं में 11 एवं गढ़वाल परिक्षेत्र में 36 गुलदार शामिल हैं। महाकालेश्वर क्षेत्र के ग्रामीणों में उम्मीद जगी है कि वे आदमखोर से उन्हें जरूर मुक्ति दिलाएंगे।

वर्जन-----

आदमखोर गुलदार के पंजों के निशान ले लिए हैं। रात को उसकी गतिविधियों पर सर्च लाइट से पैनी नजर रखी जा रही है। संभावना है कि सप्ताहभर में वह पकड़ में आ जाएगा। सीमित क्षेत्र होने के कारण वह शीघ्र ही कब्जे में आ सकता है।

-लखपत सिंह शूटर गैरसैंण।

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वर्जन-----2

खोजबीन में गुलदार के पंजे के कई निशान मिले हैं। इस आधार पर वह संभवत: मादा नरभक्षी हो सकता है। चिन्हों के अनुसार वह मैहलचौरा गांव के सामने महाकालेश्वर से लगे जंगल में ठिकाना बनाए होने का अनुमान है। -पीसी तिवारी, डिप्टी रेंजर चंथरिया रेंज।

एक वर्ष बीता, नहीं मिला मुआवजा

ग्रामीणों के अनुसार गुलदार का निवाला हो चुके मैहलचौरा निवासी भूपाल सिंह के परिजनों को मुआवजा राशि तत्काल दी जाए। उधर, उल्लैणी गांव में अप्रैल 2015 में गुलदार का शिकार बनी वृद्धा कलावती पांडे के परिजनों को आज तक घोषित मुआवजा नहीं मिला। प्रधान मुन्नी देवी ने शीघ्र भुगतान की मांग की।


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