मानदेय को लेकर लोक कलाकारों में असंतोष
संवाद सहयोगी, अल्मोड़ा : जहां एक ओर राज्य में लोक संस्कृति को बढ़ावा देने की बातें हो रही हैं, वही
संवाद सहयोगी, अल्मोड़ा : जहां एक ओर राज्य में लोक संस्कृति को बढ़ावा देने की बातें हो रही हैं, वहीं दूसरी तरफ लोक कलाकारों में असंतोष है। सीमित मानदेय व सुविधाएं उन्हें कचोट रही हैं।
विभिन्न समस्याओं के निदान की मांग कुमाऊं लोक कलाकार महासंघ लंबे समय से उठा रहा है। इसी साल तीन अगस्त को बीजापुर गेस्ट हाउस में महासंघ का दल मुख्यमंत्री से मिला और उन्हें कलाकारों के दुखड़ों से अवगत कराते हुए इन्हें दूर करने की गुहार लगाई। महासंघ के अनुसार उस वक्त मुख्यमंत्री ने सूचना महानिदेशक, संस्कृति सचिव व संस्कृति मंत्री को चार मांगों को तत्काल समाधान को निर्देशित किया था, मगर इन मांगों पर तीन माह बीतने के बावजूद अब तक कोई कार्रवाई अमल में नहीं आई। वहीं वर्तमान महंगाई के दौर में लोक कलाकारों को तीन हजार रुपये पेंशन व 400 रुपये मानदेय मिलता है। वहीं न तो पहचान पत्र जारी किए और न ही अन्य विशेष सुविधाएं मुहैया कराई गई। इससे लोक कलाकार असंतुष्ट हैं।
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::: बाक्स-1 ::::
कलाकारों की प्रमुख मांगें
= लोक कलाकारों की पेंशन बढ़ाकर दस हजार रुपये की जाय।
= लोक कलाकारों का मानदेय एक हजार रुपये किया जाय।
= दल नायकों को प्रतिमाह पांच हजार रुपये व एक कार्यक्रम का 500 रुपये की जगह ढाई हजार रुपये दिये जाय।
= लोक कलाकारों के आश्रितों को राज्य आंदोलनकारियों की तर्ज पर आरक्षण प्रदान किया जाए।
= अल्मोड़ा रंगमंडल शीघ्र सुचारू संचालित हो।
= लोक कला को अनिवार्य विषय के रूप में विषय में शामिल किया जाए।
= प्रत्येक लोक दल को हर साल लोक वाद्य यंत्रों व वेशभूषा के लिए 50 हजार रुपये दिये जाए।
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::: बाक्स-2 ::::
सीएम से मिले कलाकार
अल्मोड़ा: मुख्यमंत्री हरीश रावत के अल्मोड़ा दौरे के दौरान कुमाऊं लोक कलाकार महासंघ के दल ने उनसे मुलाकात की और फिर उनका ध्यान अपनी मांगों की ओर खींचा। दल के सदस्यों ने उन्हें 15 सूत्रीय मांगों का ज्ञापन सौंपा।