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अफसरों की फौज, मिनिस्ट्रीयलकर्मचारी सीमित

जागरण संवाददाता, अल्मोड़ा: लोक निर्माण विभाग का प्रशासनिक ढांचा पटरी पर आने का नाम नहीं ले रहा। हालत

By Edited By: Published: Fri, 04 Sep 2015 11:09 PM (IST)Updated: Fri, 04 Sep 2015 11:09 PM (IST)
अफसरों की फौज, मिनिस्ट्रीयलकर्मचारी सीमित

जागरण संवाददाता, अल्मोड़ा: लोक निर्माण विभाग का प्रशासनिक ढांचा पटरी पर आने का नाम नहीं ले रहा। हालत यह है कि अधिकारी वर्ग व कार्यालयों में राज्य गठन के बाद कई गुना इजाफा हुआ और सड़कें भी काफी बढ़ी, मगर मिनिस्ट्रीरियल कर्मचारियों के पद नहीं बढ़े। इससे ढांचा गड़बड़ चल रहा है। शासन की गलती का खामियाजा मिनिस्ट्रीरियल कर्मचारियों को झेलना पड़ रहा है। उत्तराखंड राज्य निर्माण से पहले राज्य में सिर्फ दो मुख्य अभियंता कुमाऊं व गढ़वाल के पद स्वीकृत थे। इनके अलावा अधीक्षण अभियंता मात्र छह पद और कुल 56 खंडीय कार्यालय स्थापित थे। इनमें लगभग 1000 मिनिस्ट्रीरियल कर्मचारियों के पद स्वीकृत थे। राज्य गठन के बाद ढांचे में काफी फेरबदल हुए, मगर मिनिस्टीरियल कर्मचारियों के पद नहीं बढ़ पाए। वर्तमान में मुख्य अभियंता के 16 पद हैं, जबकि 30 से अधिक अधीक्षण अभियंता तैनात हैं। इतना ही नहीं खंडीय कार्यालयों की संख्या 56 से बढ़कर सौ अधिक हो चुकी है। मगर मिनिस्ट्रीरियल कर्मचारियों के पदों में कोई इजाफा नहीं हुआ। उत्तराखंड लोनिवि मिनिस्टीरियल कर्मचारी एसोसिएशन लंबे समय से लोनिवि खंडों में मिनिस्ट्रीरियल कर्मचारियों के पद सृजित करने की मांग उठाता रहा है। एसोसिएशन के क्षेत्रीय महामंत्री चंद्रमणि भट्ट का कहना है कि केवल पदोन्नति देने के उद्देश्य से अधिकारियों के पदों का सृजन किया जाना उचित है। शासन को पूरी स्थिति समझते हुए विभागीय पुनर्गठन और मिनिस्टीरियल पदों का सृजन होना जरूरी है। उन्होंने कहा है कि इसी जायज मांग के लिए संगठन संघर्षरत है।


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