दोहरे मापदंड के बीच झूल रहे ग्राम प्रहरी
जागरण संवाददाता, अल्मोड़ा: सरकार की अव्यवस्था का एक नमूना ग्राम प्रहरी व्यवस्था भी है। एक तो न्यून पग
जागरण संवाददाता, अल्मोड़ा: सरकार की अव्यवस्था का एक नमूना ग्राम प्रहरी व्यवस्था भी है। एक तो न्यून पगार पर में पूरे गांव का पहरा, दूसरी ओर उसमें भी दोहरी मापदंड। राजस्व क्षेत्र के ग्राम प्रहरियों को थाना क्षेत्र के ग्राम प्रहरियों से 400 रुपये मानदेय कम मिल रहा है। एक व्यवस्था और मानदेय के लिए दोहरी व्यवस्था ग्राम प्रहरियों के गले नहीं उतर रही और उनमें गुस्सा है।
दरअसल, गांवों में घटनाओं की देखरेख, सूचनाएं प्रशासन तक पहुंचाने, तफ्तीश में पुलिस की मदद करने जैसे महत्वपूर्ण कार्य के लिए सरकार ने वर्ष 2004 से ग्राम प्रहरी व्यवस्था लागू की। हर ग्रामसभा में एक ग्राम प्रहरी नियुक्त किया। शुरू में कई सालों तक इन्हें सिर्फ 200 रुपये मासिक मानदेय दिया गया। जो बाद में बढ़ाकर 600 रुपये कर दिया गया। इतने कम मानदेय में भी भेदभाव सामने आया है। व्यवस्था व कार्य एक ही है, मगर राजस्व क्षेत्र में कार्यरत ग्राम प्रहरियों को मात्र 600 रुपये मासिक मानदेय मिल रहा है, तो पुलिस थाना क्षेत्र के गांवों के ग्राम प्रहरियों को 1000 रुपये मानदेय दिया जा रहा है। यह अन्याय राजस्व क्षेत्रों के ग्राम प्रहरियों को कचोट रहा है।
इतना ही नहीं ग्राम प्रहरियों के अनुसार उन्हें वर्ष 2014 से एरियर का भुगतान तक नहीं हो पाया। यहां तक कि गत पंचायत व विधानसभा चुनाव में ग्राम प्रहरियों की ड्यूटी लगाई गई, मगर उन्हें इस ड्यूटी का मानदेय अभी तक नहीं मिला। इन स्थितियों से राजस्व क्षेत्र के ग्राम प्रहरी खिन्न हैं। इसी क्रम में उन्होंने संयुक्त रूप से जिलाधिकारी को ज्ञापन सौंपा है। जिसमें समान मानदेय देने और लंबित भुगतान करने की गुहार लगाई है। ज्ञापन में दीपक मेहता, हर्ष कनवाल, देवी दत्त डोलिया, कैलाश चंद्र, गोपाल सिंह समेत दर्जनों ग्राम प्रहरियों के हस्ताक्षर हैं।