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केंद्र सरकार का पर्वतीय राज्य को दोहरा झटका

=== हाईलाइटर ==== 'इसे कांग्रेस शासित उत्तराखंड पर सियासी दाव कहें या हालिया आपदा राहत घोटाले को

By Edited By: Published: Mon, 03 Aug 2015 10:17 PM (IST)Updated: Mon, 03 Aug 2015 10:17 PM (IST)
केंद्र सरकार का पर्वतीय राज्य को दोहरा झटका

=== हाईलाइटर ====

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'इसे कांग्रेस शासित उत्तराखंड पर सियासी दाव कहें या हालिया आपदा राहत घोटाले को लेकर उठे बवंडर का बहाना। जून 2013 की महात्रासदी के जख्मों से बेजार हिमालयी राज्य को केंद्र ने दोहरा झटका दे दिया है। राज्य आपदा मोचन निधि (एसडीआरएफ) के मानकों में संशोधन कर जो बजट तय किया है, उससे विषम भौगोलिक हालात वाले पर्वतीय अंचल में क्षतिग्रस्त परिसंपत्तियों की मरम्मत व पुनर्निर्माण संभव ही नहीं है। वहीं तय राशि से ज्यादा खर्च आने पर आर्थिक बोझ संबंधित महकमे खुद उठाएंगे। दूसरी ओर सूबे में संभावित आपदा के मद्देनजर खतरे की जद में आए पर्यटक आवास गृहों के जीर्णोद्धार तथा सौंदर्यीकरण को मंजूर बजट पर भी रोक लगा दी है। नतीजा कुमाऊं के 18 टीआरसी को हाटेक करने की मंशा पर पानी फिर सकता है'

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परवान चढ़ने से पहले ही पर्यटन नीति धड़ाम

- कुमाऊं में 18 टीआरसी को हाइटेक बनाने की मुहिम अधर में

- दो करोड़ की पहली किश्त देकर केंद्र ने फेरा मुंह

रानीखेत/गरमपानी : उत्तराखंड पर रहम के बजाय केंद्र सरकार बेरहमी से पेश आई है। आपदा में क्षतिग्रस्त विभागीय व सार्वजनिक परिसंपत्तियों की मरम्मत व पुनर्निर्माण को एसडीआरएफ के मानकों में संशोधन कर जो बजट की राशि तय की है, वह न के बराबर है। वहीं तय रकम से ज्यादा खर्च आने पर आर्थिक बोझ उल्टा संबंधित महकमों पर डाल दिया है। सूत्र कहते हैं, ऐसे में आपदा के जख्मों को भरने में खासतौर पर पर्वतीय जिलों के लिए मुश्किल बढ़ जाएगी।

दरअसल, पूर्व में एसडीआरएफ के तहत आपदा में क्षतिग्रस्त परिसंपत्तियों के लिए बजट आसानी से मिल जाता था। मगर अब चालू वित्तीय वर्ष 2015-16 में मरम्मत-पुनर्निर्माण के लिए केंद्र ने एसडीआरएफ से स्वीकृत धनराशि की जो सीमा तय की है, उसने राज्य सरकार को झटका दे दिया है। जिलाधिकारियों के पास पहुंचे संशोधित मानक संबंधी जीओ के अनुसार निर्धारित सीमा से अधिक बजट के प्रस्तावों पर दैवीय आपदा से मरम्मत की संस्तुति नहीं की जा सकेगी। ऐसा करने पर कड़ी कार्रवाई का फरमान जारी कर दिया गया है।

इसके लिए संबंधित महकमा अपने विभागीय बजट से धनराशि की मांग करेगा। सूत्र कहते हैं, विभागों के पास ऐसा कोई बजट ही नहीं। ऐसे में पुनर्निर्माण के लिए महकमा राज्य व प्रदेश सरकार को घूम फिर कर केंद्र पर टकटकी लगानी होगी।

== इंसेट बॉक्स ==

केंद्र की आर्थिक मदद या छलावा

= प्राथमिक विद्यालय, स्वास्थ्य केंद्र, पंचायत घर, सामुदायिक भवनों, सिंचाई नहरों की तात्कालिक मरम्मत को मात्र 1.50 लाख प्रति इकाई

= राज्य राजमार्ग, जिले की प्रमुख सड़कें व पेयजल योजना के लिए एक लाख प्रति किमी

= ग्रामीण सड़कें व पुल मात्र 60 हजार प्रति किमी

= विद्युत खंभे के लिए चार हजार रुपये

== पैकेज ===

रानीखेत/गरमपानी : पर्वतीय राज्य में पर्यटन विकास की मुहिम को भी जोर का झटका लगा है। केंद्र ने बाढ़ प्रभावित इलाकों में खतरे की जद में आए पर्यटक आवास गृहों के इर्दगिर्द सुरक्षात्मक कार्यो तथा सौंदर्यीकरण के लिए मंजूर बजट पर रोक लगा दी है। इससे अकेले कुमाऊं में ही 18 टीआरसी को हाइटेक बनाने की महत्वाकांक्षी योजना परवान चढ़ने से पहले ही धड़ाम हो गई है।

प्रदेश के पर्यटक आवास गृहों को नए लुक व कलेवर में लाने के लिए पर्यटन निदेशालय ने पूर्व में केंद्र को प्रस्ताव भेजे थे। इसमें आपदा के लिहाज से अतिसंवेदनशील टीआरसी भवनों के आसपास सुरक्षात्मक कार्य भी कराए जाने थे। अकेले कुमाऊं से टीआरसी काकड़ीघाट, पदमपुरी, खैरना (नैनीताल), बिनसर, डीनापानी, कौसानी, भिक्यिासैंण, जागेश्वर समेत 18 टीआरसी के लिए 20 करोड़ का प्रस्ताव था। केंद्र ने स्वीकृति देते हुए पहली किश्त दो करोड़ अवमुक्त भी की। सूत्रों की मानें तो अब केंद्र ने शेष बजट पर रोक लगा दी है। इसका कारण मानकों में संशोधन बताया जा रहा।

== इंसेट===

'एसडीआरएफ के मानकों में केंद्र ने संशोधन किया है। बजट की सीमा तय कर दी गई है। इसमें कटौती का कारण क्या रहा, कुछ नहीं कह सकते है। परिसंपत्तियों के पुनर्निर्माण या मरम्मत में अधिक लागत आएगी तो संबंधित विभाग खर्च उठाएंगे।

- वीके सुमन, डीएम अल्मोड़ा'

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'नियमों में कुछ बदलाव होने हैं। संभवत: इसके बाद रुका बजट मिल जाएगा। पहली किश्त के रूप में अभी दो करोड़ ही मिले हैं। शेष धनराशि जैसे ही मिलेगी काम शुरू करवाएंगे।

- डीके शर्मा, मंडलीय प्रबंधक (पर्यटन)'


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