पापीपी मोड पर उठे विरोध के सुर
अल्मोड़ा: जन स्वास्थ्य संघर्ष मोर्चा ने जिला अस्पताल अल्मोड़ा को निजी हाथों में देने का कड़ा विरोध किया
अल्मोड़ा: जन स्वास्थ्य संघर्ष मोर्चा ने जिला अस्पताल अल्मोड़ा को निजी हाथों में देने का कड़ा विरोध किया है और चेताया है कि यदि जनभावना के विपरीत सरकार ने यह कदम उठाया, तो इसे किसी भी हालत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
मामले पर जन स्वास्थ्य संघर्ष मोर्चा ने यहां पालिका सभागार में बैठक कर मंत्रणा की। सरकार पर आरोप जड़ा कि वह कमीशन के लिए निजी स्वास्थ्य संस्थानों से सौदेबाजी कर अस्पतालों को पीपीपी मोड में दे रही है। मगर इस कदम को किसी भी हालत में बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। पुरजोर मांग की कि सरकार जिला अस्पताल को पीपीपी मोड में देने या नहीं देने के बारे में स्थिति स्पष्ट करे। तय हुआ कि अस्पताल को जबरन पीपीपी मोड में दिया, तो जनता को लामबंद कर प्रदेश स्तर पर आंदोलन चलाया जाएगा। भावी रणनीति तय करने के लिए तीन जून की सांय पांच बजे हुक्का क्लब में मंत्रणा होगी। बैठक में अलग-अलग संगठनों से जुड़े अध्यक्ष युसुफ तिवारी, पीसी तिवारी, आंनदी वर्मा, प्रदीप गुरुरानी, पूरन चंद्र तिवारी, डीके कांडपाल, जंग बहादुर थापा, सुनीता पांडे, प्रभा पांडे, चंदन सिंह बिष्ट, दीप्ति भोजक, अनिल कुमार, केबी पांडे, जीवन चंद्र, जानकी देवी, रेखा धस्माना, नवीन पाठक, भुवन लोहनी, मंजू पंत, ईश्वर जोशी आदि शामिल थे।
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राज्यपाल से लगाई गुहार
अल्मोड़ा: उत्तराखंड संसाधन पंचायत अल्मोड़ा ने राज्यपाल को संबोधित ज्ञापन डीएम को सौंपा। जिसमें जिला अस्पताल अल्मोड़ा को किसी भी हालत में पीपीपी मोड में जाने से बचाने की गुहार लगाई है। जिसमें कहा है कि गरीब लोगों का यह अस्पताल स्वास्थ्य सुविधा के लिए बड़ा सहारा है, कमियां हैं तो सिर्फ विशेषज्ञ चिकित्सकों व कर्मचारियों की। संगठन का कहना है कि निजी हाथों में चले जाने के बाद जनता का यह आसरा छिन जाएगा। मांग की है कि प्रदेश सरकार के इस कदम पर विराम लगाया जाए और अस्पताल में नई सुविधाएं, विशेषज्ञ चिकित्सक व तकनीशियन दिए जाएं। ज्ञापन में संयोजक ईश्वर दत्त जोशी, अनिल कुमार, अनीता कनवाल, महेश चंद्र पंत, युसुफ तिवारी, दीप्ति भोजक, चंदन बिष्ट आदि ने सौंपा।