शिक्षकों के निकम्मेपन से शिक्षा कमजोर
अल्मोड़ा: साहित्यकार पद्मश्री डॉ. रमेश चंद्र साह ने अपनी मातृ भाषा कुमाऊंनी से परहेज पर गहरी चिंता जत
अल्मोड़ा: साहित्यकार पद्मश्री डॉ. रमेश चंद्र साह ने अपनी मातृ भाषा कुमाऊंनी से परहेज पर गहरी चिंता जताई। उन्होंने कहा कि शिक्षक दायित्व से विमुख हो गए हैं और उनके निकम्मेपन से बच्चों को आज सही दिशा नहीं मिल रही। पद्मश्री डॉ. साह कुमाऊंनी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति प्रचार समिति द्वारा आयोजित सम्मान कार्यक्रम में बोल रहे थे। उन्हें समिति द्वारा बहादुर सिंह बनौला कुमाऊंनी साहित्य सेवी सम्मान प्रदान किया गया।
साहित्य अकादमी सम्मान से सम्मानित होने के बाद पहली बार अपने गृह नगर अल्मोड़ा पहुंचे साहित्यकार एवं पद्मश्री डॉ. रमेश चंद्र साह के सम्मान में यहां हुक्का क्लब में कुमाऊंनी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति प्रचार समिति अल्मोड़ा द्वारा कार्यक्रम रखा और उन्हें 'बहादुर सिंह बनौला कुमाऊंनी साहित्य सेवी सम्मान-2014' दिया। शॉल ओढ़ाकर व प्रतीक चिह्न देकर सम्मानित किया। इस मौके पर डॉ. साह ने कुमाऊंनी संस्कृति की दयनीय दशा पर चिंता जताते हुए कुमाऊंनी रचनाओं के माध्यम से कुमाऊंनी भाषा व संस्कृति मौजूदा स्थिति का दर्द उकेरा। उन्होंने कहा कि ¨हदी भाषा का सही प्रयोग नहीं होने से उसमें अन्य भाषाओं का घालमेल होने लगा है। इस स्थिति को भी दुर्भाग्यपूर्ण बताया कि आज कुमाऊं के लोग अपने बच्चों को कुमाऊंनी भाषा नहीं सिखा रहे। शिक्षा की कमजोर हालत का दोषी उन्होंने शिक्षकों को बताया और कहा कि आज कई शिक्षक वर्तमान में कामचोरी कर रहे हैं। बच्चों को शिक्षा देने के बजाय अपना समय व्यतीत कर रहे हैं। पहले जैसी गुरु-शिष्य परंपरा लुप्त हो गई। निकम्मेपन से शिक्षक बच्चों को नहीं पढ़ा रहे। जिससे बच्चों को सही दिशा नहीं मिल रही है। उन्होंने कहा कि आज राजनैतिक दलों से राममनोहर लोहिया व महात्मा गांधी जैसे राजनीतिज्ञों का चिंतन नदारद है। उन्होंने यह भी कहा कि साहित्यकारों का तिरस्कार ठीक नहीं है।
पालिकाध्यक्ष प्रकाश चंद्र जोशी ने कहा कि डॉ. साह की कविताओं में अल्मोड़ा जीवित है। डॉ. साह का नगर की ओर से नागरिक अभिनंदन होगा। अध्यक्षता करते हुए महादेवी वर्मा सृजनपीठ के निदेशक प्रो. देव सिंह पोखरिया ने समाज साहित्यकारों का ऋणी है। प्रो. दिवा भट्ट ने डॉ. साह के कथावाचक कहानी का पाठ किया। संचालन करते हुए कुमाऊंनी मासिक पत्रिका पहरू के संपादक डॉ. हयात सिंह रावत ने कहा कि कुमाऊंनी भाषा के सतत विकास का पहरू की ओर से निरंतर प्रयास हो रहा है और कुमाऊंनी साहित्य पर इतिहास लिखने की जरूरत बताई। कार्यक्रम में डॉ. तेजपाल सिंह, प्रो. केसी जोशी, श्याम लाल साह, डॉ. जेसी दुर्गापाल, डॉ. चंद्र सिंह चौहान, बाल प्रहरी के संपादक उदय किरौला, शिवचरण पांडे, आकाशवाणी के केंद्र अध्यक्ष मनोहर बृजवाल, डॉ. जीवन सिंह मेहता, डॉ. शमशेर सिंह बिष्ट, जंग बहादुर थापा, पवनेश ठकुराठी, ललित जोशी योगी, दयाकृष्ण कांडपाल आदि कई साहित्यप्रेमी मौजूद थे।