'फिर जिंदगी को सांसों की जरूरत है..'
रानीखेत : हजरत शाह कालू सय्यद बाबा रहमतुल्लाह अलैह के 41वें उर्स पर कव्वालों ने समां बांधा। देर रात
रानीखेत : हजरत शाह कालू सय्यद बाबा रहमतुल्लाह अलैह के 41वें उर्स पर कव्वालों ने समां बांधा। देर रात तक कव्वाली से माहौल खुशनुमा बना रहा। इधर नगर क्षेत्र के वाशिंदों की ओर से बाबा की मजार पर चादर चढ़ा गिलाफ ख्वानी की रस्म अदा की गई।
पर्यटन नगरी में उर्स पर कव्वालों के रंग में रम गई है। देर रात तक कव्वालियों के साथ ही कवियों ने अपनी-अपनी रचनाएं पेश कर माहौल में चार चांद लगाए। रचनाकारों ने भारतीय सेना के पराक्रम का गुणगान किया तो कालू सय्यद की शान में कसीदे भी गढ़े गए। बरेली से आए मजहर इकबाल पुरी ने 'मेरा प्यारा हिन्दुस्तान..', रियासत अली ने 'मेरी चाहतें मुझसे कब अलग हैं..' आदि पेश कर वाहवाही लूटी। वहीं स्थानीय कवि संदीप पाठक, सतीश पांडे, मो.शमशाद रिजवी आदि ने भी रचनाओं के जरिए कार्यक्रम में रौनक बिखेरी।
इधर देर शाम नगरवासियों की ओर से कालू सय्यद बाबा की मजार पर चादर चढ़ाई गई। इसमें पूर्व विधायक करन माहरा, नेता प्रतिपक्ष की धर्मपत्नी पुष्पा भट्ट, कांग्रेस नगर अध्यक्ष कैलाश पांडे, कार्यवाहक हरीश मनराल, व्यापार मंडल अध्यक्ष यतीश सिंह रौतेला, सभासद बिंदु रौतेला, संजय पंत, हेमंत माहरा, अतुल जोशी, राजेंद्र जसवाल आदि तमाम लोग शामिल रहे। खादिम मोहसिन खान ने सभी अभिनंदन किया।