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'उत्तराखंड की आर्थिकी' का आधार बनेगा 'वॉलनेट'

बृजेश तिवारी, अल्मोड़ा : जम्मू कश्मीर की तर्ज पर अखरोट उत्पादन में अग्रणी राज्य बनने की कवायद उत्तराख

By Edited By: Published: Thu, 22 Jan 2015 10:50 PM (IST)Updated: Thu, 22 Jan 2015 10:50 PM (IST)
'उत्तराखंड की आर्थिकी' का आधार बनेगा 'वॉलनेट'

बृजेश तिवारी, अल्मोड़ा : जम्मू कश्मीर की तर्ज पर अखरोट उत्पादन में अग्रणी राज्य बनने की कवायद उत्तराखंड सरकार ने शुरू कर दी है। इसके लिए प्रदेश सरकार ने कुमाऊं और गढ़वाल में एक-एक मदर नर्सरी विकसित करने का निर्णय लिया है। जबकि जल्द ही प्रदेश में अखरोट विकास परिषद के गठन करने के निर्णय पर भी सरकार मोहर लगा चुकी है।

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वर्तमान में उत्तराखंड प्रदेश में अखरोट का उत्पादन कुल 19265 हेक्टेयर क्षेत्रफल में किया जा रहा है। जहां इसका उत्पादन महज 21,464 मीट्रिक टन है। अखरोट उत्पादन की संभावनाओं को देखते हुए मुख्यमंत्री हरीश रावत ने प्रयास तेज कर दिए है। सीएम ने राष्ट्रीय अखरोट उत्पादक संगठन से इस बारे में गहन मंथन कर अधिकारियों को अखरोट पंचायत योजना शुरू करने के निर्देश जारी किए हैं। क्लस्टर आधारित इस योजना में पंचायत स्तर पर जाकर व्यक्तिगत और सामूहिक रूप से योजना को क्रियान्वित किया जाएगा। इसके लिए

कुमाऊं और गढ़वाल में दो मदर नर्सरी विकसित की जाएंगी। मुख्यमंत्री श्री रावत की यह महत्वाकांक्षी योजना राष्ट्रीय हर्टीकल्चर विभाग के तहत मिशन के रूप में क्रियान्वित की जाएगी। योजना के तहत अखरोट उत्पादन से जुड़ने वाले काश्तकारों को जम्मू-कश्मीर और विदेशों से लाए गए उन्नत किस्म के पौधे उपलब्ध कराए जाएंगे। इसके साथ ही पौधों की ग्राफ्टिंग के लिए स्थानीय लोगों को उच्च स्तरीय प्रशिक्षण भी दिया जाएगा। सीएम ने कहा है कि राज्य सरकार का प्रयास है कि अखरोट उत्पादन में प्रदेश देश का पहला अग्रणी राज्य बने। मदर नर्सरी में उच्च गुणवत्ता युक्त एवं अधिक उत्पादन वाली पौध विकसित की जाएंगी। अखरोट के विपणन की बेहतर व्यवस्था हो इसके लिए काश्तकारों को मंडियों से सीधे जोड़ा जाएगा।

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विदेशों से आयात कर आएगी पौध

अल्मोड़ा : उत्तराखंड प्रदेश अखरोट के उत्पादन में अग्रणी राज्य बन सके। इसके लिए किसानों को उन्नत किस्म के पौध उपलब्ध कराए जाएंगे। सरकार ने निर्णय लिया है कि अखरोट की उच्च गुणवत्ता यानी लेटरल विय¨रग (चारों तरफ फल लगने वाली ) प्रजातियों को जम्मू कश्मीर और फ्रांस से आयात किया जाएगा। काश्तकारों और विभागीय कार्मिकों को अखरोट उत्पादन की नवीनतम तकनीक देने के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् के संस्थानों कृषि एवं औद्योनिकी विश्वविद्यालयों के माध्यम से प्रशिक्षण दिया जाएगा। विषय विशेषज्ञों समेत पौधशाला स्वामियों को अखरोट विकास परिषद् में शामिल किया जाएगा। राज्य में बनने वाली हाईटैक पौध शालाओं को बागवानी बोर्ड से मान्यता दिलाने का भी निर्णय लिया गया है।

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अखरोट का उत्पादन एवं उत्पादकता में क्लस्टर अवधारणा के आधार पर क्षेत्रफल का विस्तार किया जाएगा। इसके लिए समुचित क्षेत्रों का चयन किया जाएगा। इसके साथ ही राज्य में स्थापित पुराने एवं अनुत्पादक अखरोट के वृक्षों का जीर्णोद्धार भी किया जाएगा। इसके लिए पुराने पेड़ों पर टॉप वर्किंग कर नवीनतम उन्नतशील प्रजातियों की कलम भी लगाई जाएगी।

डा. निधि पांडे, सचिव, उद्यान विभाग, उत्तराखंड

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इन जिलों में चयनित किए गए हैं क्लस्टर

जिला - चिन्हित क्षेत्र

अल्मोड़ा - 08

बागेश्वर - 01

पिथौरागढ़ - 01

देहरादून - 02

टिहरी - 01

पौड़ी - 03

रूद्रप्रयाग - 01

उत्तरकाशी - 15

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