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चार दिनों बाद भी गिरफ्त में नहीं हमलावर गुलदार

संवाद सहयोगी, जैंती (अल्मोड़ा): लमगड़ा विकास खंड के पितना गांव में मासूम को अपना शिकार बनाने के चार दि

By Edited By: Published: Tue, 20 Jan 2015 10:34 PM (IST)Updated: Tue, 20 Jan 2015 10:34 PM (IST)
चार दिनों बाद भी गिरफ्त में नहीं हमलावर गुलदार

संवाद सहयोगी, जैंती (अल्मोड़ा): लमगड़ा विकास खंड के पितना गांव में मासूम को अपना शिकार बनाने के चार दिन बाद भी हमलावर गुलदार रेस्क्यू टीम की पकड़ से बाहर है। गुलदार के हाथ न लगने के कारण जहां रेस्क्यू टीम में निराशा है। वहीं चार दिनों बाद भी गुलदार पिंजरे के पास नहीं फटका है।

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पितना गांव में बच्चे को शिकार बनाने और देवली गांव में महिलाओं पर झपटने के बाद से ही वन विभाग की रेस्क्यू टीम के लोग पूरे क्षेत्र में सर्च आपरेशन चलाए हुए हैं। लेकिन चार दिनों की मशक्कत के बाद भी रेस्क्यू टीम के हाथ खाली हैं। गुलदार को पकड़ने के लिए बिंसर अभ्यारण से रेस्क्यू के लिए बुलाए गए वन दारोगा जीवन चंद्र तिवारी ने कहा है कि शिकार करने के तरीके से लगता है कि हमलावर गुलदार नर है और उसके केनाइन दांत टूट चुके हैं। इसलिए जंगली जानवरों का शिकार करने में अक्षम गुलदार सबसे आसान शिकार इंसान पर हमला कर रहा है। डेढ़ सौ से अधिक रेस्क्यू आपरेशन कर चुके तिवारी का मानना है कि घटते जंगल, पलायन से बुरे होते गांव मानव वन्य जीव संघर्ष का कारण बन रहे हैं। उन्होंने कहा कि लमगड़ा के हुना और सल्ट में मारे गए आदमखोर गुलदार पैरालाइज के शिकार थे। उन्होंने कहा कि लगभग 10 साल की उम्र के बाद अक्सर गुलदारों में यह बीमारी लग जाती है। जिससे वह जंगली जानवरों का शिकार नहीं कर पाते। इस स्थिति में ऐसे गुलदार मानव पर ही अधिक हमला करते हैं। क्योंकि वह गुलदार के लिए सबसे आसान शिकार होते हैं। तिवारी ने कहा है कि यह स्थिति भविष्य के लिए काफी चिंताजनक है।


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