Move to Jagran APP

आतिशबाजी पर्यावरण के लिए खतरा

जागरण संवाददाता, अल्मोड़ा : दीपावली पर होने वाली ज्यादा आतिशबाजी मानव स्वास्थ्य तथा पर्यावरण पर गहरा

By Edited By: Published: Wed, 22 Oct 2014 10:31 PM (IST)Updated: Wed, 22 Oct 2014 10:31 PM (IST)
आतिशबाजी पर्यावरण के लिए खतरा

जागरण संवाददाता, अल्मोड़ा : दीपावली पर होने वाली ज्यादा आतिशबाजी मानव स्वास्थ्य तथा पर्यावरण पर गहरा असर डालती है। इस तथ्य से सभी वाकिफ हैं, लेकिन त्योहार के उल्लास में हर कोई पर्यावरण संरक्षण की चिंता किए बगैर अधिकांश लोग आतिशबाजी में मशगूल रहते हैं। लोगों की इसी अनदेखी से आज प्रदूषण की समस्या तेजी से गहराती जा रही है। मानव स्वास्थ्य पर भी प्रदूषण के गंभीर नतीजे सामने आ रहे है।

loksabha election banner

पर्यावरण वैज्ञानिकों तथा चिकित्सा विशेषज्ञों का कहना है यदि मानवीय गलतियों से पर्यावरण इसी तरह तेजी से प्रदूषित होता चला जाएगा तो इसका खामियाजा किसी ने किसी रूप में सभी को भुगतना पड़ेगा। पर्यावरण वैज्ञानिकों का कहना है कि दीपावली पर्व पर होने वाली आतिशबाजी के दौरान निकलने वाली हानिकारक गैसों से पर्यावरण पर गंभीर असर पड़ता है। ग्रीन हाउस गैसों के बढ़ते दबाव से वायु मंडलीय ओजोन परत को भी नुकसान पहुंच रहा है। अधिक मात्रा में आतिशबाजी से वायुमंडल में सल्फर डाइऑक्साइड, नाइट्रोजन डाइऑक्साइड, कार्बन मोनो ऑक्साइड व कार्बन डाइऑक्साइड जैसी गैसों की मात्रा तेजी से बढ़ जाती है, जो मानव स्वास्थ्य, पर्यावरण तथा वनस्पतियों आदि के लिए बहुत हानिकारक होती है।

इन गैसों के मानव स्वास्थ्य पर पड़ने वाले दुष्प्रभावों के बारे में पूर्व स्वास्थ्य निदेशक डा.जगदीश चंद्र दुर्गापाल का कहना है कि ऑक्सीजन के साथ खतरनाक गैसों के फेफड़ों तक पहुंचने से अस्थमा हो जाता है और इसका समय पर उपचार न करने पर लंग्स कैंसर का खतरा बढ़ जाता है। तेज पटाखों की आवाज से बच्चों के कान के परदे फटने का भी खतरा रहता है। ध्वनि प्रदूषण के और भी कई खतरे हैं। दहशत के मारे वन्य जीव भी घबराने लग जाते हैं और कई हिंसक बन जाते हैं।

-----

::::::इंसेट

बम पटाखों से आतिशबाजी के दौरान निकलने वाला बारुद, धुंवा व कार्बन के कण लोगों के स्वास्थ्य पर विपरीत असर डालते हैं। इससे एलर्जी की समस्या उत्पन्न हो जाती है। साथ ही अस्थमा का खतरा भी रहता है। बम पटाखों की धमाकों की आवाज से कानों की श्रवण क्षमता पर भी दुष्प्रभाव पड़ता है।

-डॉ. सुब्रत शर्मा, पर्यावरण विज्ञानी, पर्यावरण संस्थान, कोसीकटारमल, अल्मोड़ा।

-------

:::::::इंसेट

गैसों के उत्सर्जन से होने वाली हानियां

- गैसों से औसत तापमान में तेजी से वृद्धि

- मौसम चक्र में बदलाव से सूखे का खतरा

- दुर्लभ जड़ी-बूटियों व औषधीय वनस्पतियों पर दुष्प्रभाव

- हानिकारक गैसों से ओजोन परत को नुकसान

----------

इंसेट:::::::::

आतिशबाजी से निकलने वाली हानिकारक गैस

- सल्फर डाइऑक्साइड

- नाइट्रोजन डाइऑक्साइड

- कार्बन मोनो ऑक्साइड

- कार्बन डाइऑक्साइड

------


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.