पांच दर्जन से अधिक बंदर पकड़े
जागरण संवाददाता, अल्मोड़ा: पालिका प्रशासन एवं जनप्रतिनिधियों पर भारी दबाव के बाद शुक्रवार को जिला मुख
जागरण संवाददाता, अल्मोड़ा: पालिका प्रशासन एवं जनप्रतिनिधियों पर भारी दबाव के बाद शुक्रवार को जिला मुख्यालय में लोगों को बंदरों के आतंक से निजात दिलाने के मकसद से बंदर पकड़ो अभियान चलाया गया। इस अभियान के तहत कई घंटों की मशक्कत के बाद शाम तक कुल 65 बंदर पकड़े गए। बंदर पकड़ने के लिए मथुरा से चार लोगों की टीम बुलाई गयी है। बंदरों को पकड़ने में वन विभाग तथा पालिका के लोगों ने भी सहयोग प्रदान किया।
बंदर पकड़ो अभियान शुक्रवार को यहां धार की तूनी क्षेत्र से शुरू किया गया। इसके बाद रानीधारा तथा जेल रोड में भी यह अभियान चला। डीएफओ प्रेम कुमार वन विभाग के एसडीओ बीएस जीना की देखरेख में चलाए गए इस अभियान में शाम तक शहर के विभिन्न इलाकों से कुल 65 बंदर पकड़े गए। अभियान में वन क्षेत्राधिकारी प्रमोद तिवारी, डिप्टी रेंजर नीतीश तिवारी, वन दरोगा जगदीश पांडे, पंकज भाकुनी समेत पालिका सदस्य मुकेश नेगी, अशोक पांडे, हेम तिवारी, पूर्व पालिका सदस्य त्रिलोचन जोशी, परितोष जोशी व पालिका कर्मी रूप सिंह बिष्ट आदि ने भी सहयोग प्रदान किया।
वन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि बंदर पकड़ो अभियान अभी कुछ दिनों तक और चलेगा, ताकि शहरी क्षेत्र में इनकी तेजी से बढ़ती आबादी को नियंत्रित किया जा सके और इनके बढ़ते आतंक को भी कम किया जा सके। उन्होंने कहा कि पकड़े जा रहे बंदरों को शहर से दूर जंगलों में छोड़ा जाएगा।
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विधायक के सहयोग से शुरू हुआ काम
अल्मोड़ा: शहरवासियों को बंदरों के आतंक से निजात दिलाने के लिए स्थानीय विधायक एवं संसदीय सचिव मनोज तिवारी के प्रयासों से काफी कोशिशों के बाद यह अभियान शुरू हो सका है। बताया जाता है कि बंदर पकड़ने के लिए न तो वन विभाग के पास कोई बजट होता है और ना ही पालिका के पास। ऐसे में विधायक मनोज तिवारी ने शहरवासियों की इस समस्या को गंभीरता से लेते हुए अपने विशेष प्रयासों से बंदर पकड़वाने के लिए शासन से वन विभाग को बजट उपलब्ध कराया है। इसी बजट से अब इस काम को अंजाम तक पहुंचाने की कोशिश हो रही है।
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मथुरा की टीम ने पहले दिन 26 हजार कमाए
अल्मोड़ा: बंदर पकड़ने के लिए मथुरा से पहुंची टीम एक बंदर पकड़ने के एवज में 400 रुपये पारिश्रमिक ले रही है। पहले दिन इस टीम ने कुल 65 बंदर पकड़े। इस प्रकार चार सदस्यीय टीम ने एक दिन में कुल 26 हजार रुपये कमाए। टीम में शामिल लोगों के भोजन, आवास तथा इधर-उधर आने जाने की व्यवस्था पर भी अलग से पैसा खर्च हो रहा है। इस प्रकार बंदरों को पकड़ने का यह सौदा काफी महगा साबित हो रहा है। शहर से पकड़ कर सूदूरवर्ती जंगलों में छोड़े जा रहे यह बंदर दुबारा शहर में प्रवेश न कर पाएं इस बात की कोई गारंटी भी नहीं है। ऐसे में अभियान को लेकर कई तरह की शंकाए व्याप्त होनी लाजमी हैं।