विदाई पथ पर बरसे भक्तों के नैन
जागरण संवाददाता, द्वाराहाट : 'विदाई पथ' पर आस्था के सागर में भावविभोर भक्तों का अपार स्नेह एवं कोटि-कोटि प्रणाम व अर्पण स्वीकार कर 'भगोती नंदा' ने कुमाऊं की पौराणिक राजधानी तथा सांस्कृतिक नगरी 'द्वारिका' से विदाई ली। इससे पूर्व शीतला देवी एवं दूनागिरी में विराजमान मां भगवती से फिर मिलने का वादा कर 500 सीढि़यों पर विदा करने पहुंचे सैकड़ों भावुक भक्तों को भी आशीर्वाद दिया। देववृक्षों ने हवा के झोंकों के जरिए मानो मैया के प्रति अपनी आस्था प्रकट की। यहां से मां नंदा के साथ रानीखेत व चौखुटिया की पवित्र छंतोली व डोलियों ने दूसरे पड़ाव माला गांव के लिए प्रस्थान किया। देवडांगरों की मौजूदगी में देवी का अवतरण भी हुआ, जिसे श्रीनंदा राजजात यात्रा के लिए शुभ एवं फलदायक माना जाता है।
'ओ माता ओ नंदा तू दैंण है जाए..'। दिल को छू लेने वाली मां नंदा की स्तुति के साथ रविवार को सैकड़ों महिला-पुरुष एवं बच्चों ने अपनी आराध्य मां नंदा को विदाई दी। बीती शनिवार को शीतला पुष्कर में मां शीतला देवी से मिलन के बाद सायंकाल भगोती नंदा दूनागिरी के सुरम्य पहाड़ पर मां भगवती से मिलीं। यहां रात्रि विशेष पूजा अर्चना में भाग लिया। प्रात:काल घंटे-घडि़यालों की गूंज, शंखनाद एवं रणसिंघ की गगनभेदी धुन के साथ नंदा मैया दूनागिरी धाम से जैसे-जैसे उतरी, 500 सीढि़यों पर मां को विदाई देने वाले भक्त नंदा की भक्ति में लोटपोट हो गए। उल्लास व उत्साह के बीच भावुकता के माहौल में सभी ने पुष्प एवं अक्षत वर्षा कर मां नंदा को कैलास के लिए विदा किया।
रानीखेत व चौखुटिया की दोनों छंतोलियां व मां की डोलियों ने देवडांगरों के साथ अपने दूसरे पड़ाव माला गांव सोमेश्वर को प्रस्थान किया। खास बात कि दूनागिरी की पर्वत श्रंखलाओं को ओढ़े देववृक्षों ने भी हवा के झोंकों से प्रकृति एवं प्रवृत्ति रूपेण भगोती नंदा के प्रति श्रद्धा के भाव प्रकट किए।
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माता भक्त स्वयंसेवकों की कारसेवा भी गजब
मां दूनागिरी के धाम में श्रीनंदा राजजात यात्रा में शामिल भक्तों एवं सुदूर अंचल से पहुंचे श्रद्धालु जैसे धन्य हो गए। मां की भक्ति में डूबे विजयपुर, दैरी, दुधोली व धनखलगांव के स्वयंसेवकों ने भी रातभर श्रद्धालुओं को भोजन व प्रसाद बांट पुण्य कमाया। तड़के तक मां का दरबार भजन-कीर्तनों से गुंजायमान रहा।