पौराणिक पदयात्रा में अब आधुनिक पुट
जागरण संवाददाता, रानीखेत : बेशक गढ़वाल में ऐतिहासिक श्रीनंदा राजजात यात्रा दुरुह रास्तों से पैदल हिमालय की ओर बढ़ रही है। मगर हिमालयी महाकुंभ का पहली बार हिस्सा बनी रानीखेत नगरी में पौराणिक परंपरा में आधुनिकता का पुट साफ दिखा। हालांकि पवित्र छंतोली के साथ नगर परिक्रमा में पांच-छह किमी पदयात्रा जरूर की गई। मगर श्रीनंदा राजजात यात्रा मात्र डेढ़ किमी का सफर तय करने के बाद वाहनों के काफिले में तब्दील हो गई। यही नहीं छंतोली को कार की छत पर सुशोभित किया गया। जानकारों की मानें तो गढ़वाल में 7वीं शताब्दी के लघु पैदलमार्ग आज भी इस्तेमाल किए जा रहे। जबकि कुमाऊं में पड़ाव लंबे और सड़कों से जुड़े हैं।
इसे वक्त की रफ्तार के साथ विकास की बयार ही कहेंगे कि सड़कों के जाल ने ऐतिहासिक श्रीनंदा राजजात यात्रा के पैदल सफर को हाइटेक बना दिया है। गढ़वाल में करीब 280 किमी की पदयात्रा 21वीं सदी में भी दुरुह रास्तों की दुश्वारियों पर भारी पड़ती है। मगर जानकार कहते हैं, गढ़वाल के पड़ाव छोटे और शॉर्टकट रास्तों पर हैं, जो सड़कों से दूर हैं। इसके उलट कुमाऊं में पड़ाव लंबे और सड़कों से जुड़े हैं। यही कारण है पहली बार रानीखेत से विदा मां नंदा की राजजात यात्रा महज डेढ़ किमी पैदल सफर तय करने के बाद वाहनों के काफिले में तब्दील हो गई। श्रीनंदा राजजात यात्रा में शामिल श्रद्धालु वाण (चमोली) तक वाहनों से ही पहुंचेंगे। वहां से पैदल यात्रा होगी।
==== पैकेज ====
'जै..जै बोला भगौती नंदा, नंदा ऊंचा कैलास की..'
- जीवंत हो उठी कुमाऊं-गढ़वाल की साझा संस्कृति
- हुड़के की गमक व ढोलक की थाप पर थिरके लोग
- श्रीनंदा राजजात यात्रा की पूर्व संध्या पर जमा लोक रंग
जागरण संवाददाता, रानीखेत : 'जै.जै बोला भगौती नंदा, नंदा ऊंचा कैलास की..', ऐतिहासिक श्रीनंदा राजजात यात्रा की पूर्व संध्या पर पर्यटन नगरी उत्तराखंड की आराध्य मां नंदा की स्तुति से गुंजायमान हो उठी। पारंपरिक हुड़के की गमक, ढोलक की थाप व मजीरे की झंकृत करने वाली मधुर धुनों के बीच कुमाऊं एवं गढ़वाल की लोक संस्कृति एवं पारंपरिक विरासत मंच पर साकार हो उठी। सरोवर नगरी से पहुंचे लोक कलाकारों की दिलकश प्रस्तुति ने ऐसा समा बांधा कि लोग देर रात तक थिरकते रहे।
नगर स्थित मां नंदा देवी मंदिर परिसर में शुक्रवार की शाम भगौती नंदा के नाम रही। पवित्र छंतोली की प्राण प्रतिष्ठा के बाद जैसे-जैसे शाम ढली, लोक में रचे-बसे गीत व धुन भी परवान चढ़ती गई। नैनीताल के लोक कलाकारों ने 'ओ माता सुनंदा तू दैंण है जाए.., जै बोला भगौती नंदा.. व उत्तराखंडा देवाभूमि तेरी जै जैकारा..' आदि गीतों के जरिए मां नंदा का महिमा बखान तो किया ही, उत्तराखंडी लोक संस्कृति एवं परंपरा का सजीव चित्रण भी किया।
सांस्कृतिक कार्यक्रम में नेता प्रतिपक्ष अजय भट्ट, पूर्व विधायक करन माहरा, ब्लॉक प्रमुख रचना रावत के साथ ही एसडीएम एपी वाजपेयी, श्रीनंदा देवी महोत्सव समिति अध्यक्ष हरीश लाल साह, नंदाराजजात यात्रा संयोजक संजय तिवारी, किरन लाल साह, मोहन नेगी, यतीश सिंह रौतेला, अगस्त लाल साह, ज्योति साह मिश्रा, जयंत रौतेला, एलएम चंद्रा, हरीश मनराल, पंकज साह, हेमंत मेहरा, विमल भट्ट आदि उपस्थित रहे।
=== इंसेट===
दुर्गा महोत्सव समिति ने बांटा प्रसाद
श्रीनंदा राजजात यात्रा के गांधी चौक पहुंचने पर श्री दुर्गा महोत्सव समिति अध्यक्ष अजय बबली की अगुवाई में सदस्यों ने श्रद्धालुओं व झांकी के साथ पहुंचे विद्यार्थियों को प्रसाद व शरबत बांटा।