Move to Jagran APP

खुल गया डेंजर जोन 'भुजान' का रहस्य

By Edited By: Published: Tue, 29 Jul 2014 09:42 PM (IST)Updated: Tue, 29 Jul 2014 09:42 PM (IST)
खुल गया डेंजर जोन 'भुजान' का रहस्य

- खालिस पहाड़ नहीं मलबे का ढेर है यह भूभाग

loksabha election banner

- कई दशक पूर्व भूस्खलन के बाद अस्तित्व में आई पहाड़ी

- ठोस शिलाखंड के बजाय बुरबुरी चट्टानें खतरे का सबब

- इसी क्षेत्र से गुजरता है रामगढ़ थ्रस्ट, दरकता रहेगा क्षेत्र : वैज्ञानिक

- अंतरजनपदीय सीमा पर है यह अतिसंवेदनशील इलाका

रानीखेत : 'वरुणावत' बन चुका अंतरजनपदीय सीमा की पश्चिमी पहाड़ी का राज खुल गया है। कहर बनकर गिर रहा डेंजर जोन भुजान का पूरा भूभाग खालिस पहाड़ नहीं है। बल्कि सालों पहले भूस्खलन से जमा कई टन मलबे का ढेर है। इसमें विशुद्ध शिलाखंड न होकर बुरबुरी चट्टानें मौजूद हैं, जो लगातार कमजोर पड़ने से भूस्खलन के रूप में कहर बरपा रही हैं। वैज्ञानिकों की मानें तो इस भूभाग से रामगढ़ थ्रस्ट गुजर रहा है। ऐसे में पहाड़ी का अस्तित्व खतरे में है।

नैनीताल व अल्मोड़ा जनपद की सीमा पर भुजान वाली बेल्ट सितंबर 2010 की आपदा से अतिसंवेदनशील मानी जाती है। हालांकि इससे पूर्व भी पत्थरों के गिरने का खतरा बना रहता था, मगर भूस्खलन से उतरा खतरा तब भी नहीं रहा। अब हालात बिगड़ते जा रहे हैं। चिंता इसलिए भी कि कुमाऊं की 'लाइफ लाइन' हल्द्वानी-अल्मोड़ा हाईवे पर दर्जन भर डेंजर जोन अबकी बरसात कुछ शांत हैं। इसके उलट कभी चारधाम यात्रा मार्ग रहा खैरना-रानीखेत स्टेट हाईवे पर भुजान ही नहीं कनवाड़ी की अतिसंवेदनशील पहाड़ी कहर बरपाने लगी है। तीन दिन से लगातार भूस्खलन से हर पल राहगीर व वाहन सवारों की जान खतरे में है।

अचानक बिगड़ रहे हालातों के बीच भूगर्भ वैज्ञानिकों ने अंतरजनपदीय सीमा के इस पश्चिमी पहाड़ी भूभाग के रहस्य से पर्दा उठा लिया है। दरअसल, खैरना (नैनीताल) से भुजान (अल्मोड़ा) की ओर वाला यह पश्चिमी भूभाग मजबूत चट्टानों से बनी खालिस पहाड़ी नहीं है। वैज्ञानिक दावा करते हैं कि यह पहाड़ी इलाका कई वर्ष पूर्व भूस्खलन से जमा मलबे का ढेर है। अन्य पहाड़ियों की तरह ठोस शिलाखंडों के बजाय यहां टूटी-फूटी चट्टानें मौजूद हैं, जिनकी प्रकृति बुरबुरी है। यानी भूस्खलन के लिहाज से बेहद खतरनाक जोन है। वहीं इस क्षेत्र से रामगढ़ थ्रस्ट गुजर रहा है। ऐसे में भूगर्भीय हलचल या कंपन से पहाड़ी दरकती रहेगी। अर्थात भविष्य के लिए खतरा बढ़ेगा ही।

=== इंसेट===

ये है सुरक्षित रहने का उपाय

- पहाड़ी से मानवीय छेड़छाड़ बिल्कुल बंद हो

- मुनाफे के फेर में पहाड़ी का सीना चीर पत्थर निकालने पर प्रतिबंध लगे

- स्टेट हाईवे की मरम्मत व पुनर्निर्माण मैनुअल तरीके से हों

- सुरक्षात्मक उपाय तलहटी में नहीं, 200 मीटर ऊपर टॉप एरिया में हों काम

=== इंसेट====

'खैरना से ऊपर भुजान का पूरा भूभाग पुराने लैंड स्लाइड्स का मलबा है। यहां से रामगढ़ थ्रस्ट गुजर रहा है। चट्टानें बुरबुरी हैं। भूगर्भीय हलचल में ऐसी पहाड़ियों के गिरने की संभावना बढ़ जाती है। वैसे भी इस बेल्ट में पुरानी चट्टानें कमजोर पड़ चुकी हैं। जाहिर है भूस्खलन रुकेगा नहीं। इसके लिए वैज्ञानिक तकनीक अपनाने की जरूरत है।

- प्रो. चारू पंत, विभागाध्यक्ष, जियोलॉजिकल विभाग, डीएसबी परिसर (कुमाऊं विवि)नैनीताल '


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.