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खिसकते पहाड़ों तले सिसकती जिंदगी

By Edited By: Published: Tue, 29 Jul 2014 09:26 PM (IST)Updated: Tue, 29 Jul 2014 09:26 PM (IST)
खिसकते पहाड़ों तले सिसकती जिंदगी

- दरकता काला पहाड़ तल्ला बिशुवा गांव पर कहर ढाने पर आमादा

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- सितंबर 2010 की त्रासदी से विस्थापन की बाट जोह रहे वाशिंदे

- अबकी बरसात और बिगड़े हालात, कई मकान ढहने को तैयार

- लोनिवि की सड़क को कटान व जेसीबी ने और बढ़ाया जोखिम

संवाद सूत्र, ताड़ीखेत : अतिसंवेदनशील पर्वतीय अंचल में आपदा प्रभावितों के प्रति सरकारें कितना संजीदा है, खतरे के मुहाने पर जा पहुंचा तल्ला बिशुवा गांव बानगी भर है। सितंबर 2010 की प्रलंकारी आपदा से डेंजर जोन में शामिल इस गांव का विस्थापन तो दूर मकानों को जमींदोज होने से बचाने तक को प्रभावी कदम नहीं उठाए जा सके हैं। यह हाल तब हैं जब कई मकान ढहने के कगार पर हैं। उस पर सड़क निर्माण के लिए जेसीबी मशीन से अंधाधुंध कटान से भूस्खलन पूरे गांव को कब दफन कर दे, कुछ कहा नहीं जा सकता।

अबकी बरसात ब्लॉक क्षेत्र में आसमान से बरसती आफत ने भूस्खलन प्रभावित इलाकों को हिला कर रख दिया है। इन्हीं में एक गांव है तल्ला बिशुवा, जहां के वाशिंदे सितंबर 2010 की त्रासदी के बाद से ही दरकते काला पहाड़ के बीच खौफ के साए में रात काट रहे। यहां तक मूसलाधार बारिश से दिन में भी मकान ढहने का डर दिल से नहीं जाता।

हैरत की बात है ग्रामीण कई बार जिला प्रशासन से गुहार लगा चुके हैं, मगर संभावित आपदा से बचाव को कोई सुध नहीं ली जा रही। रही सही कसर गनियाद्योली-अम्याड़ी-सिंगोली मोटर मार्ग की मरम्मत को अनियोजित कटिंग व जेसीबी ने पूरी कर डाली है। इससे पूरा भूभाग जगह-जगह से दरक रहा है। दीवान राम, श्याम लाल व लच्छी राम का मकान खतरे के मुहाने पर है। मगर उन्हें विस्थापित किए जाने की तक जहमत नहीं उठाई जा रही।

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प्रशासन से हार नेता प्रतिपक्ष से गुहार

डेंजर जोन की श्रेणी में आ चुके तल्ला बिशुवा को संभावित आपदा से बचाने के लिए प्रशासनिक स्तर पर कोई पहल न होने पर युवाओं ने नेता प्रतिपक्ष अजय भट्ट से मुलाकात की। क्षेत्र के ललित जोशी ने उन्हें मौजूदा स्थिति से अवगत कराया। इस पर भट्ट ने ईई लोनिवि को पत्र लिख स्थलीय निरीक्षण कर सुरक्षात्मक उपाय किए जाने को कहा है।

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तेजी से हो रहा भूकटाव

ग्रामीण ललित जोशी के अनुसार तल्ला बिशुवा में तेजी से हो रहे भूकटाव से मकानों को खतरा और बढ़ गया है। उन्होंने आरोप लगाया कि चार साल से प्रशासन से मदद की गुहार लगाई जा रही है लेकिन कोई ठोस कदम नहीं उठाए जा रहे।


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