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कहर ढाने को तैयार अतिसंवेदनशील पहाडि़यां

By Edited By: Published: Wed, 04 Dec 2013 10:27 PM (IST)Updated: Wed, 04 Dec 2013 10:27 PM (IST)
कहर ढाने को तैयार अतिसंवेदनशील पहाडि़यां

रानीखेत/गरमपानी : कुमाऊं की लाइफ लाइन पर डेंजर जोन जौरासी बेशक कुछ शांत है, मगर हाईवे पर आधा दर्जन से ज्यादा अतिसंवेदनशील पहाड़ियां कहर ढाने को तैयार हैं। भू-स्खलन से निपटने तथा कमजोर पहाडि़यों को थामे रखने के लिए सुरक्षात्मक कार्यो के अभाव में राजमार्ग पर दुश्वारियां बढ़ने लगी हैं। बगैर बरसात पत्थरों की वर्षा किसी बड़े हादसे का सबब बन सकती है।

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याद रहे 2012 में अतिसंवेदनशील जौरासी की पहाड़ी ने अल्मोड़ा-हल्द्वानी हाईवे पर पखवाड़े भर तक यातायात बाधित रखा था। इसके बाद ऑपरेशन जौरासी के जरिए क्रॉनिक जोन पर भू-स्खलन के लिए जिम्मेदार बोल्डरों को धराशायी किया गया। इसके बाद जौरासी-फेज टू आफत बना। नेशनल हाईवे ने तक सुरक्षात्मक कार्य शुरू किए। मगर गुणवत्ता के अभाव का मुद्दा उठता रहा। इधर, अब अन्य पहाडि़यां कमजोर पड़ने से दुश्वारियां बढ़ने लगी हैं। डेंजर जोन लोहाली में कमजोर भूभाग के दरकने से काफी देर तक पत्थर गिरते रहे।

ये पहाडि़यां बढ़ा रही जोखिम

पाडली, रातीघाट, दोपाखी, लोहाली, छड़ा, जौरासी फेज-वन व टू, नावली, काकड़ीघाट में पहाडि़यां खुलने लगी हैं।

24 लाख की सुरक्षा दीवार नेस्तनाबूद हाईवे पर लाइफ लाइन की सलामती को बनी सुरक्षा दीवारें एक-एक कर ध्वस्त होने लगी हैं। डेंजर जोन जौरासी में भू-स्खलन का खतरा कम करने को करीब 24 लाख की लागत से बने कंक्रीट ब्लॉक धराशायी होने से गुणवत्ता पर सवाल उठने लगे हैं।

वर्ष 2010 की आपदा में नेस्तनाबूद हाईवे के दोनों ओर सुरक्षात्मक कार्य शुरू कराए गए थे। मसलन कोसी के कहर से कटी राजमार्ग की बुनियाद को खड़ा रखने के लिए सुरक्षा दीवारें बनाई गई तो पहाड़ी से भू-स्खलन रोकने को रिटेनिंग वॉल तथा कंक्रीट ब्लॉक खड़े किए गए। इधर जौरासी में तकरीबन 24 लाख की लागत से बने ब्लॉक ध्वस्त होने से भू-स्खलन का खतरा बढ़ गया है। वहीं अन्य स्थानों पर भी सुरक्षा उपाय खुद ही ढहने लगे हैं।

डेंजर जोन लोहाली में फिर काटा पहाड़ी का सीना

अंतरजनपदीय सीमा पर नाजुक दौर से गुजर रही अतिसंवेदनशील लोहाली की पहाड़ी से खिलवाड़ थम नहीं रहा। यहां हाईवे से सटे डेंजर जोन पर मुनाफाखोरी के फेर में पहाड़ी पर खदान कर भारी मात्रा में पत्थर निकाले जा रहे हैं। इस मामले में एसडीएम ने कहा कि दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

अतिसंवेदनशील लोहाली की पहाड़ी से बगैर बरसात ही पत्थरों के गिरने का सिलसिला जारी है। दूसरी ओर पहाड़ी से छेड़छाड़ भी नहीं रुक रही है। आलम यह है कि डेंजर जोन पर नाजुक भू-भाग से भारी मात्रा में बोल्डर तोड़ पत्थरों का काला कारोबार चलाया जा रहा है। हाईवे किनारे पत्थरों का स्टॉक व अतिसंवेदनशील पहाड़ी पर हुआ खदान इसकी तस्दीक भी कर रहा है।

वहीं, इस संबंध में शिवचरण द्विवेदी, एसडीएम कोश्या कुटौली ने कहा कि मामला गंभीर है। भविष्य में लाइफ लाइन पर जो भी सुरक्षात्मक कार्य होंगे, गुणवत्ता पर कड़ी नजर रखी जाएगी। कमजोर पड़ रही अतिसंवेदनशील पहाडि़यों से छेड़छाड़ नहीं होने दी जाएगी। कड़ी कार्रवाई अमल में लाएंगे।

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