समाज तक पहुंचे जीआइएस का लाभ
जाका, अल्मोड़ा : विज्ञान की नवीनतम विधा जीआइएस का लाभ आम आदमी तक पहुंचना जरूरी है। नियोजन व प्रबंधन की चुनौतियों का मुकाबला करने के लिए बुद्धिजीवी वर्ग तथा आम जनता के बीच समन्वय बिठाना होगा।
यह बात उत्तराखंड सेवा निधि के निदेशक पर्यावरणविद् पद्मश्री डा.ललित पांडे ने कही है। डा.पांडे अल्मोड़ा कैम्पस में जीआइएस पर 21 दिनों से चल रहे पुनश्चर्या कार्यक्रम के समापन कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि बोल रहे थे। डा.पांडे ने कहा कि चुनौतियों का सामना करने के लिए बुद्धिजीवियों को आम समाज के प्रति अत्यधिक संवेदनशील होने की जरूरत है, ताकि आम व्यक्तियों की मूलभूत आवश्यकताओं के अनुरूप वैज्ञानिक तरीके से नीतियां अमल में आ सकें। विज्ञान के क्षेत्र में हाइटेक तकनीक सामने आ रही है, किंतु हर तकनीक का लाभ आम समाज तक नहीं पहुंच पा रहा है। इसका कारण बुद्धिजीवी वर्ग व आम समाज के बीच समन्वय की कमी है। उन्होंने जीआइएस तकनीक के अनुप्रयोगों के लिए एनआरडीएमएस केंद्र अल्मोड़ा के प्रयासों की सराहना की। अध्यक्षता करते हुए अल्मोड़ा कैंपस के प्रो. आरएस पथनी ने जीआइएस तकनीक के ज्ञान का समुचित लाभ विद्यार्थियों तक पहुंचाने का आह्वान प्राध्यापकों से किया। इससे पूर्व मुख्य अतिथि डा. पांडे ने दीप प्रज्ज्वलित कर समापन कार्यक्रम का शुभारंभ किया। एकेडमिक स्टाफ कालेज नैनीताल के सह निदेशक डा. रितेश साह ने अतिथियों व प्रतिभागियों का स्वागत किया। मुख्य अतिथि के हाथों पुनश्चर्या कार्यक्रम के प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र बांटे गए। एनआरडीएमएस केंद्र के निदेशक प्रो. जेएस रावत ने आभार ज्ञापित किया। इस मौके पर प्रतिभागी प्राध्यापकों समेत विनोद रावत, नवनीत गहलोत, निर्मला नैलवाल, नेहा रानी, नरेश पंत, उमा शंकर नेगी, ओसामा तिवारी, मुकुल माजिला, लता बुधानी, तरुण राणा, महेंद्र कन्नौजिया, मनोज बिष्ट आदि मौजूद थे।
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