रिकू्रटों के अभिभावकों को 'गौरव' का सम्मान
जाका, रानीखेत : कुमाऊं रेजीमेंट के गौरवशाली सैन्य इतिहास में मंगलवार को एक नई परंपरा का सूत्रपात हुआ। केआरसी में रिक्रूटों के अभिभावकों को गौरव पदक देने की परंपरा का श्रीगणेश हुआ।
स्थानीय सोमनाथ ग्राउंड में रेजीमेंट के इतिहास में नया अध्याय जुड़ गया। कसम परेड के बाद भारतीय सेना के अंग बने सभी 126 रिक्रूटों के अभिभावक पूर्व फौजियों को गौरव पदक प्रदान किया गया। केआरसी कमांडेंट ब्रिगेडियर केए महावीर ने जवानों के अभिभावकों को यह मेडल प्रदान किए। साथ ही पूर्व फौजियों से आत्मीयता के साथ मिल कुशलक्षेम पूछी। पूर्व सैनिकों ने देश की सीमाओं पर तैनाती और दुश्मनों के दांत खट्टे करने आदि तमाम संस्मरण भी सुनाए।
सेना के अफसरों ने बताया कि कसम परेड पर रिक्रूटों के माता-पिता को गौरव पदक से सम्मानित करने की यह अद्भुत एवं अनूठी परंपरा केआरसी में पहली बार शुरू की गई है।
वहीं, कसम परेड के दौरान सेना के अंग बने चार जवानों को विभिन्न मोर्चो पर सर्वश्रेष्ठ रिक्रूट का पदक भी प्रदान किया गया। इनमें राहुल सर्वश्रेष्ठ रिक्रूट चुने गए। ड्रिल में भुवन चंद्र, शस्त्र प्रशिक्षण में कमलेश व फायरिंग में नीतेश को यह पदक दिया गया।
भारतीय सेना में रहते देश सेवा, सुरक्षा के प्रति तत्पर, फिर बच्चों को भी सपूत बनाने का सपना। पूर्व सैनिक एवं वीरांगनाओं ने अपने बेटों के लिए यही अरमान संजोए थे। मंगलवार को कसम परेड पर सपना साकार हुआ और गौरव पदक मिला तो उनकी आंखें खुशी से छलक उठीं। उनके चेहरे की चमक से लग रहा था मानो उन्होंने 'लाल' को जन्म ही भारत माता की सेवा के लिए दिया।
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