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खेती पर कैसा रोना, चलो उगाएं सोना

वाराणसी : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दो दिनी काशी प्रवास में पहले दिन जहां शहरी विकास की

By JagranEdited By: Published: Sun, 24 Sep 2017 02:49 AM (IST)Updated: Sun, 24 Sep 2017 02:49 AM (IST)
खेती पर कैसा रोना, चलो उगाएं सोना
खेती पर कैसा रोना, चलो उगाएं सोना

वाराणसी : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दो दिनी काशी प्रवास में पहले दिन जहां शहरी विकास की बुनियादों को समृद्ध करने की योजनाओं को लोकार्पित किया वहीं शनिवार को गांव की समृद्धि पर जोर दिया। दूसरी ओर आर्थिक विकास क्रम में किसानों के पीछे छूटने पर सरकारी प्रयासों को गांवों तक लाने की कवायद को भी प्राथमिकता दी है। खेती के लिए जहां मृदा परीक्षण और आधुनिक तौर तरीकों संग वैज्ञानिक पद्धति के प्रयोगों को अपनाने की पीएम ने सलाह दी तो वहीं खेती संग अन्य सहायक कार्यो को भी अपनाने के लिए पहल की आवश्यकता पर जोर दिया। सहकारिता के साथ ही स्टार्ट अप से लेकर स्टैंड अप तक की योजनाओं को किसान और ग्रामीण हित में उपयोग कर किसानों को समृद्ध करने की रूपरेखा को शाहंशाहपुर में बखूबी प्रदर्शित किया गया। मगर यह प्रयास सूबे ही नहीं देश भर में हो इसकी भी जरूरत को पीएम ने बखूबी समझाया।

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बताया कि सरकार की मंशा वर्ष 2022 तक किसानों की आय दो गुनी करने का प्रस्ताव है। जिसके तहत किसानों को कृषि के समग्र स्वरूपों से जोड़ने का क्रम जारी है। पीएम के शाहंशाहपुर का कार्यक्रम भी उसी कड़ी को अमलीजामा पहनाने का एक हिस्सा था। पीएम ने यहां भी किसानों की आय को वर्ष 2022 तक दोगुना करने के प्रयासों तरीकों और परिणामों पर फोकस करने की अपनी प्रतिबद्धता दोहराई। शनिवार को पीएमओ की ओर से जारी प्रधानमंत्री के संदेशों में भी गांवों को समृद्ध बनाने के प्रयासों पर जोर दिया गया।

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पीएम ने दिया जोर

पीएम की वेबसाइट पर भी शनिवार के कार्यक्रम में गांवों के विकास पर आधारित रिपोर्ट जारी की गई है। जिसमें गांवों को समृद्ध बनाने के साथ सरकारी योजनाओं को जमीन देने और किसानों की प्राथमिक समस्याओं को दूर करने के लिए भी सरकारी प्रयासों को अपनाने पर बल दिया गया है। इस क्रम में उत्पादों को शहर स्थित ट्रेड फैसिलिटी सेंटर तक विपणन के लिए पहुंचाना भी शामिल है। जहां से किसानों और बुनकरों संग शिल्पकारों को आर्थिक लाभ से जोड़े जाने का प्रस्ताव है।

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समृद्धि हेतु प्राथमिकता क्रम

-जरूरतों के क्रम में किसानों द्वारा मृदा परीक्षण से कृषि उत्पादन में बढ़ोतरी के तौर तरीकों को अमल में लाना।

-दूसरे चरण में किसानों को दुग्ध उत्पादन हेतु पशुधन से जोड़ना जिसके लिए पशु स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान।

-साथ ही मत्स्य पालन, कुक्कुट पालन सहित सहयोगी लाभ के उपक्रमों की स्थापना।

-स्टार्टअप उत्पादों को सहकारिता संग बाजार उपलब्ध कराने के लिए ट्रेड फैसिलिटी सेंटर की सुविधा।

-अनुक्रम अपनाने से 2022 तक किसानों की आय दोगुना यानि स्टैंड अप की संकल्पना साकार होगी।


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