Pm Narendra modi की काशी में Corona virus पर विजय कामना से जगमग हुए उम्मीदों की दीये
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आह्वान पर रात 9 बजे उनके संसदीय क्षेत्र वाराणसी में लोगों ने खूब उम्मीदों के दीये रोशन किये।
वाराणसी, जेएनएन। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आह्वान पर रात 9.09 बजे उनके संसदीय क्षेत्र में लोगों ने खूब उम्मीदों के दीये रोशन किये। कोरोना वायरस संक्रमण के विश्वव्यापी खतरों के बीच प्रधानमंत्री ने रविवार रात नौ बजे दीप, मोमबत्ती, सेलफोन टार्च जलाने का आह्वान किया था। प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र में रात नौ बजते ही लोगों ने छतों बालकनी और चौखट संग दरवाजों पर रोग नाशक दीप घरों में जलाए।
शहर से लेकर गांव तक, गली से लेकर कॉलोनी के घरों तक दीप जलाए गए। दीप ज्योति को धर्माचार्यों ने उम्मीदों का दीप बताया। कहा, समूह में दीपक जलाना शास्त्रों में रोग प्रतिरोधक कारक बताया गया है। रविवार को सूर्य और प्रदोष की यु़ति अद्भुत संयोग है। इसी मान्यता के साथ काशी के घर घर मे दीयों के जगमग ने कोरोना से संघर्ष के विश्व व्यापी अभियान को रोशनी का सम्बल दिया।
वाराणसी के मुस्लिम बहुल इलाकों में दीप जलाने के साथ ही अजान के साथ दुवाख्वानी भी की गई। दीप पर्व आज ही की कामना के साथ ही धूम धड़ाके और हर हर महादेव से गलियां गूंज उठीं। लोगों ने नौ बजते ही घरों की बत्तियां बुझाकर अपने छत और चौखट के साथ ही दरवाजों पर दीये और मोमबत्ती से रोशनी की।
कोरोना के विरुद्ध जंग में पांच अप्रैल 2020 का दिन भारत के इतिहास में दर्ज हो गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अपील का ऐसा असर दिखा कि महामारी के अंधकार की चुनौती देने के लिए शहर से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों में असंख्य दीप जले। शारीरिक दूरी का पालन करते हुए लोगों ने अपने घरों के सामने, बालकनी में दीया और मोमबत्ती जलाकर कोरोना के खिलाफ जंग में यह साबित कर दिया कि कोई अकेला नहीं है।
सुबह से ही मोहल्लों और बाजारों में दिन में 12 बजे तक लोग दीया व मोमबत्ती की खरीदारी करते नजर आए। बहुतों ने तो पूरे उत्साह के साथ लोगों को मोमबत्ती व दीया मुफ्त में बांटे। उसके बाद फिर घरों में जाकर रात नौ बजने का इंतजार करने लगे। दिन में 12 बजे से लेकर रात नौ बजे तक नौ घंटे का समय बीतने का आखिरकार इंतजार समाप्त हुआ। घड़ी की सूई ने जैसे ही नौ बजने का इशारा किया, वैसे ही लोग अपने-अपने घरों की लाइटें बुझा दी। फिर क्या, युवा, बुजुर्ग, बच्चे और महिलाएं पूरे उत्साह के साथ दीया, मोमबत्ती नहीं तो टार्च और मोबाइल लेकर घरों के दरवाजे और बालकनी की ओर चल पड़े। नौ बजने का इशारा होते ही दीप जले तो ऐसा लगा कि अब कोरोना को कहीं जगह नहीं है। हर किसी ने जब एक-एक दीया जलाया तो उसके अपने देश के महाशक्ति होने का अनुभव हुआ। एकजुुटता के संकल्प ने यह साबित कर दिया कि किसी एक मकसद की लड़ाई हम सब लड़ रहे हैं।