जिओ टैगिंग से होगी पीएम आवास योजना की निगरानी
वाराणसी : प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) भले ही ढाई साल बीत जाने के बाद भी जमीन पर नहीं
वाराणसी : प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) भले ही ढाई साल बीत जाने के बाद भी जमीन पर नहीं उतर सकी पर इसकी तैयारी अंतिम दौर में है। उम्मीद जताई जा रही है कि निकाय चुनाव की आचार संहिता जैसे ही खत्म होगी, यह योजना आकार लेना शुरू कर देंगी। इस योजना में धांधली की कोई गुंजाइश नहीं रहेगी। लाभार्थी को सब्सिडी का पैसा गोलमाल करने का कोई मौका नहीं होगा क्योंकि सरकार जिओ टैगिंग तकनीकी का सहारा लेकर जमीन पर बनने वाले एक एक आवास की मानीट¨रग करेगी।
लाभार्थी आधारित आवास निर्माण यानी बीएलसी (बेनिफिशियरी लेड 'इंडिविजुअल हाउस' कंस्ट्रक्शन) स्कीम के तहत डूडा को 14 करोड़ की धनराशि मिली है। यह धनराशि सब्सिडी पर खर्च होगी। किसी के पास जमीन है और वह मकान बनवाना चाहता है तो उसे ढाई लाख रुपये की सब्सिडी इस स्कीम में सरकार की ओर से दी जाएगी। जिले में इस स्कीमतहत 7702 आवास बनेंगे। इसमें रामनगर में 1430, गंगापुर नगर पंचायत क्षेत्र में 447 व नगर निगम क्षेत्र में 5825 आवास निर्माण स्वीकृत हैं। चयन की प्रक्रिया जारी है। ऑनलाइन फार्म भरकर अभी लाभ पाने का मौका है।
यूं होगी जिओ टैगिंग : मिनिस्ट्री आफ हाउसिंग एंड अर्बन पावर्टी (हूपा) ने इसरो के नेशनल रिमोट सेंसिंग सेंटर से एमओयू कर जिओ टैगिंग आपरेशनल गाइडलाइंस तैयार कर राज्य सरकारों को इसे लागू करने को कहा है। नेशनल रिपोर्ट सेंसिंग सेंटर द्वारा पीएम आवास और भुवन मोबाइल ऐप डेवलप किया जा रहा है। जब इंडिविजुअल हाउस का निर्माण शुरू होगा तब उस समय अर्बन लोकल बाडी के सर्वेयर मौके पर जाकर निर्माणाधीन घरों की फोटो लेकर मोबाइल एप पर टैग करेंगे। इस प्रोसेस को जिओ टैगिंग कहा जा रहा है। इसके बाद समय समय पर निर्माण के अलग अलग चरणों में फोटोग्राफ लेकर मोबाइल एप पर टैग किया जाएगा। मसलन, खाली जमीन, नींव का निर्माण, छत का निर्माण फिर फिनिशिंग कार्य। इसी क्रम में सब्सिडी की राशि भी लाभार्थी के खाते में सीधे जाएगी। नींव तक निर्माण के बाद एक लाख, छत पड़ने पर एक लाख फिर सीमेंट आदि के लिए पचास हजार रुपये दिए जाएंगे। सर्वेयर के काम पर जिलाधिकारी, परियोजना अधिकारी डूडा, नगर आयुक्त नजर रखेंगे।
पीएम आवास योजना में चार प्रकार के आवास : पीएम आवास योजना के तहत चार प्रकार के आवास निर्मित होने हैं। पहला इन स्टियू स्लम रीडेवलपमेंट, दूसरा- क्रेडिट लिंक्ड सब्सिडी के तहत अफोर्डेबल हाउसिंग, तीसरा-पार्टनरशिप के तहत अफोर्डेबल हाउसिंग प्रोजेक्ट्स और चौथा-बीसीसी यानी बेनिफिशियरी लेड इंडिविजुअल हाउस कंस्ट्रक्शन है। जिले में अभी बीएलसी तहत ही आवास बनने हैं।
डूडा के परियोजना अधिकारी कंचन सिंह परिहार ने बताया कि आवास के लिए सब्सिडी की राशि मिल चुकी है। आवास निर्माण का लक्ष्य तय है। निकाय चुनाव की आचार संहिता समाप्त होने के बाद ही इस योजना पर अब कार्य होगा।