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आज जानदार फिल्मोत्सव का शानदार आगाज

वाराणसी : सिनेप्रेमियों को आठ साल से सार्थक व जानदार फिल्मों से रूबरू कराता आ रहा 'जागरण फिल्म फेस्ट

By JagranEdited By: Published: Fri, 21 Jul 2017 02:31 AM (IST)Updated: Fri, 21 Jul 2017 02:31 AM (IST)
आज जानदार फिल्मोत्सव का शानदार आगाज
आज जानदार फिल्मोत्सव का शानदार आगाज

वाराणसी : सिनेप्रेमियों को आठ साल से सार्थक व जानदार फिल्मों से रूबरू कराता आ रहा 'जागरण फिल्म फेस्टिवल' का शुक्रवार को आगाज होगा। सिगरा आइपी मॉल में तीन दिवसीय आयोजन के दौरान प्रदर्शित की जाने वालीं कई शानदार फिल्में लोगों के मन मस्तिष्क पर गहरी छाप छोडें़गी। एक्टिंग वर्कशॉप के साथ फिल्मी सितारों के दीदार का दर्शकों को अवसर मिलेगा। हस्तियों की कॉफी टेबल डिबेट दर्शकों को फिल्मों के पीछे की सोच, संघर्ष, तकनीक व श्रम की जानकारी देगी।

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- हर दिन अलग-अलग फिल्में : सिगरा आइपी मॉल में 21, 22 व 23 जुलाई तक हर दिन अलग-अलग फिल्मों का प्रदर्शन होगा। जो हंसाने, गुदगुदाने, दिल को छूने के साथ समाज का आईना भी दिखाएंगी। फिल्मों में कॅरियर बनाने के इच्छुक लोगों के लिए एक्टिंग कार्यशाला का आयोजन भी किया जाएगा। जिसमें अभिनय की बारीकिया विशेषज्ञ बताएंगे।

- वर्ष 2010 से हो रहा आयोजन : दैनिक जागरण के फिल्म फेस्टिवल का आयोजन वर्ष 2010 से लगातार हो रहा है। इस बार जागरण फिल्म फेस्टिवल की यह 8वीं कड़ी है। फेस्टिवल से रजनीगंधा जैसा बड़ा नाम भी जुड़ा है। यह देश के 16 शहरों में दैनिक जागरण द्वारा आयोजित किया जा रहा है। वाराणसी में फेस्टिवल का आगाज फिल्म 'मुक्ति भवन' से होगा। इसके डायरेक्टर डा. शुभाशीष भुटियानी काशी की जनता से रूबरू होंगे। द बेंच फिल्म का प्रदर्शन भी किया जाएगा।

- कॉफी टेबल में फिल्मी हस्तियां : फिल्म फेस्टिवल में 22 जुलाई को कॉफी टेबल में मयंक शेखर, अविनाश दास, पंकज त्रिपाठी व अभिनेत्री स्वरा भास्कर भी शामिल होंगी। अभिनेत्री स्वरा भास्कर अपने कॅरियर से जुड़े संघर्ष और एक्टिंग क ो लेकर विचार रखेंगी। जागरण फिल्म फेस्टिवल में 18 वर्ष की आयु से अधिक के लोग ही भाग ले सकते हैं।

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फिल्म 'मुक्ति भवन'

कहानी - फिल्म एक मिडिल क्लास फैमिली के इर्द-गिर्द घूमती है। राजीव ( आदिल हुसैन) के पिता दया ( ललित बहल) को अब लगने लगा है कि उनका अंत समय नजदीक आ रहा है, दूसरी ओर अब राजीव जहा अपनी बिजी लाइफ के चलते चाहकर भी पिता को ज्यादा वक्त नहीं दे पाता तो वहीं दया को लगने लगा है राजीव की पत्नी यानी उनकी बहू लता (गीताजलि कुलकर्णी) का रवैया भी उनके प्रति पहले जैसा नहीं रहा। दया की उम्र अब ज्यादा हो चुकी है। बढ़ती उम्र के चलते अब वह अक्सर बीमार रहने लगे हैं। वहीं अब बेटे राजीव की फैमिली के बीच दया खुद को बहुत अकेला महसूस करने लगे हैं। ऐसी भी नहीं कि राजीव की पूरी फैमिली में दया को कोई अपना नहीं लगता, राजीव की बेटी और अपनी पोती सुनीता ( पालोमी घोष) को दया अपने नजदीक महसूस करते हैं। कुछ वक्त बाद दया को लगने लगता है कि अब उनके दिन करीब आ गए हैं। बेटे राजीव की फैमिली में खुद को अकेला महसूस कर रहे दया एक दिन अपने बेटे से कहते हैं उनकी आखिरी ख्वाहिश यही है कि बची सासें वह काशी के मुक्ति भवन में जाकर लें। अपने ऑफिस वर्क और डेली रूटीन में बेहद बिजी राजीव न चाहते हुए भी अपने बूढे़ बीमार पिता की यह आखिरी इच्छा पूरी करने का फैसला करता है। बेशक उसके इस फैसले में उसकी वाइफ लता शामिल नहीं है। राजीव किसी तरह अपने ऑफिस से छुट्टी लेकर अपने पिता के साथ काशी पहुंचता है। यहा के एक मुक्ति भवन में उसे पंद्रह दिनों के लिए अपने पिता के साथ रहने की अनुमति मिलती है। यहा अपने पिता की सेवा में राजीव खुद को तैयार कर रहा है। दूसरी ओर उसे मन ही मन काशी से वापस लौटने का इंतजार है।

मुक्ति भवन की खास बातें

फिल्म मुक्ति भवन का व‌र्ल्ड प्रीमियर वेनिस में हुआ था जिसमें इसे दो अवार्ड मिले। मुक्ति भवन क ो दो राष्ट्रीय व 8 अंतर्राष्ट्रीय अवार्ड मिले हैं। यह 40 से ज्यादा फिल्म फेस्टिवल में चल चुकी है। अभी 25 से ज्यादा फिल्म फेस्टिवल में चलेगी। यह फिल्म 30 से ज्यादा देशों में चलाई जा रही है। 25 अगस्त को मुक्ति भवन यूनाइटेड किंगडम में रिलीज होगी।

अवधि : 113 मिनट

डायरेक्टर कोट

मुक्ति भवन फिल्म काशी में बनी है। उसे बाबा विश्वनाथ का आशीर्वाद मिला है। यही वजह है कि इस फिल्म को लेकर कभी कोई अड़चन नहीं आई। यह फिल्म लोगों के दिलों को छू रही है। इसे खूब स्नेह मिल रहा है। फिल्म फेस्टिवल्स में भी इसे खूब सराहना मिल रही है।

-संजय भुटियानी, प्रोड्यूसर मुक्ति भवन

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'द बेंच' की कहानी

'द बेंच' फिल्म परशियन ईरानी ड्रामा है। इसके डायरेक्टर फ्लोरा सैम हैं। फिल्म में एक महिला कैरेक्टर है जो एक किताब लिखती है। किताब का विषय है महिलाओं के खिलाफ अत्याचार इतिहास की जड़ों से है होता है। दरअसल, जिस विषय पर महिला किताब लिखती है वह उसे पीड़ा से गुजर चुकी होती है। उसे संतान न होने पर बांझ कहा जाता है, जबकि कमी उसके पति में होती है।

अवधि : 98 मिनट

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आज की फिल्में

-शाम 6 बजे : फिल्म फेस्टिवल का उद्घाटन व ¨हदी फिल्म 'मुक्ति भवन' की स्क्रीनिंग, डायरेक्टर डा. शुभाशीष भुटियानी।

शाम 8.30 बजे- फिल्म 'द बेंच' डायरेक्टर फ्लोरा सैम परसीन।

विशेष सहयोगी

ओमेगा प्लस हॉस्पिटल सुंदरपुर

यूको बैंक

आरके एडवटाइजर्स


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