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..तो आधुनिक स्वरूप में होगी वाराणसी मेट्रो परियोजना

वाराणसी : प्रधानमंत्री मोदी की स्मार्ट सिटी की संकल्पना का एक बड़ा आधार मेट्रो परियोजना भी है। दरअसल

By JagranEdited By: Published: Sat, 24 Jun 2017 01:40 AM (IST)Updated: Sat, 24 Jun 2017 01:40 AM (IST)
..तो आधुनिक स्वरूप में होगी वाराणसी मेट्रो परियोजना
..तो आधुनिक स्वरूप में होगी वाराणसी मेट्रो परियोजना

वाराणसी : प्रधानमंत्री मोदी की स्मार्ट सिटी की संकल्पना का एक बड़ा आधार मेट्रो परियोजना भी है। दरअसल हैदराबाद में मेट्रो रेल परियोजना का मानक विश्व में किसी भी मेट्रो रेल परियोजना से आगे का है। अब प्रधानमंत्री मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में मेट्रो की परियोजना साकार होने की कतार में है। पीएम की मंशा शेष मेट्रो परियोजनाओं को हैदराबाद मॉडल के तर्ज पर बनाने की है।

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हैदराबाद बना मॉडल

पीएम की मंशा के अनुरुप मेट्रो में हैदराबाद को मानक बनाने की बात शीर्ष पर है। वहां दमघोंटू प्रदूषण से शहर को बचाने के लिए सभी प्रमुख मेट्रो स्टेशनों को रेल, बस और इंडस्ट्री एरिया से काफी करीब तक जोड़ा गया ताकि दैनिक यात्री कम से कम वाहन का प्रयोग करते हुए मंजिल तक पहुचें। वाराणसी में भी ऐसा ही किया जाएगा ताकि आटो, रोडवेज व रेल स्टेशनों से मेट्रो की दूरी न्यूनतम हो।

पीपीपी मॉडल से बोझ कम

हैदराबाद मॉडल में केंद्र संग राज्य सरकार और प्राइवेट सहयोग से बजट पर नियंत्रण किया गया है। बड़े मेट्रो स्टेशनों के जरिये जहा दुकानों की स्थापना कर मॉल कल्चर से 45 फीसद धन वापसी की संकल्पना है वहीं 5 फीसद रकम विज्ञापन और शेष 50 फीसद धन दैनिक यात्रियों के किराए से होने वाली आय का हिस्सा होगा।

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विदेशी कंपनियों का निवेश

हैदराबाद मेट्रो रेल परियोजना के काम मे तेजी के लिए कई कुपनियों की सेवाएं ली गई हैं। इसमें संचार, सुरक्षा, सिग्नल, एलिवेटर और एस्केलेटर के अलावा स्वत्रत विदेशी इंजीनियरों की सेवा शामिल है। इन सभी मे फ्रांस, अमेरिका, कोरिया और स्पेन आदि की कंपनियों का साझा समन्वय बनाया गया है।

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हरियाली को सर्वाधिक महत्व

हैदराबाद मेट्रो रेल मॉडल में मेट्रो रेल संचालन के अलावा हरियाली पर सर्वाधिक ध्यान दिया गया है। यहा एक पेड़ कटने पर पन्द्रह हरे पौधों को रोपकर शहर की दशा सुधारने का सफल प्रयास किया गया है। इसी क्रम में रास्ते में आने वाले पेड़ों को नई जगह रोपने के लिए आधुनिक तकनीक का भी सहारा लिया गया है। मेट्रो ओवरब्रिज के नीचे हरियाली के लिए पौधरोपण अभी जारी है।

वाराणसी में चुनौतिया कम नहीं

हैदराबाद मेट्रो रेल परियोजना में मंदिर, मस्जिद, स्कूल, प्रतिष्ठान भी आड़े आए मगर सरकार के सहयोग से प्राधिकरण ने मुआवजा संग पुन: निर्माण की भी प्रक्रिया चलाई है। दूसरी ओर काशी मंदिरों का शहर है जहा यह दुश्वारी हैदराबाद से अधिक ही आनी है। हैदराबाद में सवा करोड़ की आबादी में जहा 50 फीसद रकम यात्री किराए से प्राप्त करने का लक्ष्य है वहीं वाराणसी में इससे तीन गुनी कम आबादी है लिहाजा यात्री किराए से भरपाई करना दुश्वारी भरा कदम होगा। जबकि मेट्रो स्टेशनों में जहा शॉपिंग मॉल कल्चर से 45 फीसद रकम प्राप्त करने का दावा है वही वाराणसी में घनी आबादी में विशाल मेट्रो स्टेशनों में दुकानों की संख्या भी सीमित रखनी पड़ेगी। हालाकि हैदराबाद मेट्रो परियोजना से जुड़े अधिकारी वाराणसी के संदर्भ में डीपीआर में इन बिंदुओं के ही आधार पर परियोजना के आकार लेने का अंदेशा जता रहे हैं। प्रदेश में लखनऊ का काम प्रारंभ हो चुका है लिहाजा वाराणसी में मेट्रो की संकल्पना का हैदराबाद मॉडल प्रयोग में लाने की संभावना अधिक है।

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'प्रधानमंत्री मोदी वैश्रि्वक स्तर पर महत्व रखने वाली हैदराबाद मेट्रो परियोजना से काफी प्रभावित हैं। इसी तर्ज पर देश के अन्य भागों में बनने वाले मेट्रो स्टेशनों की भी गुणवत्ता को उन्होंने अपनाने पर बल दिया है। निश्चित ही वाराणसी हो या अन्य जगह मगर यहा का मॉडल अपनाने पर बेहतर नतीजे हासिल होंगे'

-बीएन राजेश्वर, जनरल मैनेजर, हैदराबाद मेट्रो रेल परियोजना।


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