छाया लावणी का जादू, कोली नृत्य ने भी मोहा
वाराणसी : सुर गंगा संगीत महोत्सव की 35वीं शाम मराठी लोक रंग के नाम रही। इसमें महाराष्ट्र के ख्यात ल
वाराणसी : सुर गंगा संगीत महोत्सव की 35वीं शाम मराठी लोक रंग के नाम रही। इसमें महाराष्ट्र के ख्यात लोक नृत्य लावणी व मछुआरों के कोली डांस ने गजब ढाया। महाराष्ट्र से आए कलाकारों ने जब सुर लगाए तो टाउनहाल मैदान झूमता नजर आया। सिर पर मराठी टोपी सजाए युवाओं ने मराठी ध्वज लहराए और खूब रंग जमाया। मुंबई से आई मराठी फिल्मों की ख्यात पार्श्व गायिका दीप्ती रेगे ने 'चला जेजुरी ला जाउ', 'रूपेरी वालुट..' समेत कई गीतों की मनोहारी प्रस्तुति की। गायक दत्तात्रेय मिस्त्री ने उनके साथ समा बांधा। ख्यात नृत्यांगना नीता पाटिल ने लावणी की प्रस्तुति से दर्शकों का दिल जीत लिया। वसुधा दीक्षित, रागेश्री बेलसरे पराशर व अनुराधा यादव ने भी लावणी का जादू जगाया। जाह्नवी दत्तार समूह के माझी नृत्य और महाराष्ट के स्थानीय मछुआरों पर आधारित कोली नृत्य पर लोग झूम उठे। मुंबई के शो स्टापर डास ग्रुप ने गणेश वंदना प्रस्तुत की। जबकि वर्षा सिधोरे व प्रतिष्ठा पुराणिक ने नृत्य से समा बांधा। रूचिका पराजपे, प्राप्ति पुराणिक, सोनाली ओक, सुयोग पाठक ने भी मराठी गीतों को स्वर दिए। साधना भजन मंडली ने 'नव साला पावली', रचिता नेने ने 'वृक्ष वाल्ली आम्हा सोयारी', अरूंधती देव ने 'आनंदी निर्गुण' व रूचिका व रेणुका पराजपे ने 'अता वाजले की बारा' गीत पेश किए। मराठी संध्या में मंडलायुक्त नितिन रमेश गोकर्ण मुख्य अतिथि थे। स्वागत पहल के संरक्षक हरिदास पारिख, संचालन पांडुरंग पुराणिक, जगदीश्वरी चौबे, अपूर्वा, घनश्याम व नेहा ने किया। इस दौरान डा. माधव जनार्दन रटाटे, संतोष सोलापुरकर, मकरंदे मरिष्कार, महादेव पालंदे, श्रीनिवास पुराणिक, गोविंद सिधोरे समेत मराठी समुदाय के गणमान्य लोग मौजूद थे।
आज छाएगा राजस्थान
सुर गंगा की 36वीं शाम राजा मानसिंह को समर्पित होगी। इस राजस्थानी निशा में रेतीले प्रदेश की सतरंगी छटा छाएगी। इसमें रेखा राव, महेंद्र मटूर का गायन और बबीता व विशाली राणा का लोक नृत्य होगा।