सुविधाओं में बदहाल सरकारी अस्पताल
वाराणसी: शहर के तमाम अस्पताल खुद बीमार हैं। अस्पतालों में डॉक्टरों समेत जरूरी उपकरणों का अभाव है। श
वाराणसी: शहर के तमाम अस्पताल खुद बीमार हैं। अस्पतालों में डॉक्टरों समेत जरूरी उपकरणों का अभाव है। शहर ही नहीं, बल्कि प्राथमिक व सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बुनियादी सुविधाओं का अभाव झेल रहे हैं। सूबे के स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह शुक्रवार को काशी में होंगे। उम्मीद की जा रही है कि अस्पतालों में व्याप्त समस्याओं के निराकरण की दिशा में कुछ ठोस पहल होगी। हालांकि, यह देखने वाली बात होगी कि स्वास्थ्य मंत्री अस्पतालों का रुख करते भी हैं या नहीं।
मरीज बढ़े पर डॉक्टर नहीं
पाण्डेयपुर स्थित दीनदयाल उपाध्याय अस्पताल महज 31 डॉक्टरों के भरोसे चल रहा है। यहां रोजाना तकरीबन 1200 मरीज इलाज के लिए पहुंचते हैं। मरीजों की संख्या तो बढ़ी, लेकिन डॉक्टरों के खाली पड़े नौ पदों को नहीं भरा गया। रेडियोलाजिस्ट नहीं होने की वजह से सिटी स्कैन मशीन धूल फांक रही है। बुनियादी सुविधाओं की कमी के कारण मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
मंडलीय अस्पताल पर भी दबाव
जिले के सबसे बड़े मंडलीय अस्पताल का भी यही हाल है। मरीजों के बढ़ते दबाव के बीच यहां अभी भी महज 40 डॉक्टर पदस्थ हैं। विशेषज्ञ डॉक्टरों का अभाव भी पीड़ा बढ़ा रहा है। प्लास्टिक सर्जरी, कार्डियोलाजी के लिए मरीज बीएचयू पर ही आश्रित हैं।
प्राथमिक अस्पताल भी बदहाल: बदहाली का दंश सिर्फ जिले के बड़े सरकारी अस्पताल ही नहीं झेल रहे। बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में स्थित प्राथमिक व सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में भी बुनियादी सुविधाओं की हालत दयनीय है। जिससे मरीज परेशान हैं।
बड़ागांव : यहां इमरजेंसी ड्यूटी में कोई डॉक्टर तैनात नहीं रहता। गंभीर मरीज के आने पर डॉक्टर को घर से बुलाया जाता है।
काशी विद्यापीठ ब्लाक के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर डीएनएस व आरएल इंजेक्शन करीब एक सप्ताह से नहीं है। यह स्थिति तब है जब क्षेत्र डायरिया की चपेट में है। इमरजेंसी में भी कोई डॉक्टर मौजूद नहीं रहता।
सेवापुरी: प्राथमिक स्वास्थ्य
केन्द्र सेवापुरी व सामुदायिक
स्वास्थ्य केन्द्र में भी एमरजेंसी के दौरान डॉक्टर ढूंढने से नहीं मिलते।
फार्मासिस्ट के सहारे अस्पताल
मिर्जामुराद के प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र में पिछले दो महीने से डॉक्टर नहीं है। यह स्वास्थ्य केन्द्र फार्मासिस्ट के सहारे चल रहा है। डाक्टर नहीं होने की वजह से प्रसव के लिए आने वाली महिलाओं को अस्पताल से लौटना पड़ रहा है।