धंसते-दरकते घाट, खो रहे अपना ठाठ
वाराणसी : हर रोज काशी के धरोहरों के साथ खिलवाड़ हो रहा है। जिन धार्मिक स्थलों से हजारों काशीवासियों क
वाराणसी : हर रोज काशी के धरोहरों के साथ खिलवाड़ हो रहा है। जिन धार्मिक स्थलों से हजारों काशीवासियों की आस्था व भावना जुड़ी हैं, वहां भी प्रशासनिक लापरवाही चरम पर दिख रही है। इसकी बानगी काशी के तमाम घाटों पर देखने को मिल रही है। हाल यह है कि प्रभु घाट व भदैनी घाट की सीढि़या एक-एक कर दरकती जा रही है। कई जगहों पर तो सीढि़यों ने स्थान तक छोड़ दिया है लेकिन अफसरों का इस ओर ध्यान ही नहीं जा रहा।
मसलन, इस वर्ष आई बाढ़ के चलते प्रभु घाट व भदैनी घाट की सीढि़यों में काफी सिलन आ गया था। हालांकि बाद में जब बाढ़ का पानी उतरा तो कई लोगों ने इसकी शिकायत संबंधित अफसरों से की थी लेकिन इस ओर ध्यान नहीं दिया गया। इसके चलते दोनों घाटों की स्थिति बेहद भयावह हो चली है। प्रभु घाट की बात करें तो यहां पर सीढि़यां बीच से दब गई है और कई जगहों पर सीढि़यों का आपस में संपर्क भी कट गया है। बावजूद इसके जान जोखिम में डालकर लोग दूसरे घाट तक जा रहे हैं। इसके अलावा जानकी घाट, महानिर्वाणी घाट, शिवाला, माता आनंदमयी, तुलसी, गंगा महल व रीवा घाट पर भारी मात्रा में मिट्टी का अंबार लगा हुआ है। शर्मनाक बात यह है कि देव दीपावली पर काशी के सभी घाटों की सुधि लेने का दावा किया गया था लेकिन उस दौरान भी इन घाटों पर सफाई नहीं की गई। नतीजन जगह-जगह मिट्टी के टीले दिख रहे हैं। यहां स्नान तो दूर लोगों को आने-जाने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। लोग गिरते-पड़ते एक घाट से दूसरे घाट तक पहुंच रहे हैं। ऐसे में सवाल यह उठता है कि जिम्मेदार अफसर कहीं कोई हादसे का तो इंतजार नहीं कर रहे। कारण, हर रोज घाटों पर देशी-विदेशी मेहमानों का जमावड़ा लगा रहता है।
महज सफाई की खानापूर्ति
नगर निगम के सफाई कर्मियों द्वारा कुछ घाटों की पंप से गुरुवार को धुलाई की गई लेकिन अपर्याप्त साबित हुआ। मिट्टी इतनी ज्यादा मात्रा में है कि सफाई करने में कई दिन लग जाएंगे। हालांकि इन घाटों पर यदि नियमित सफाई हो तो शायद एक बार फिर से अपने मूल स्वरूप में आए जाए।
कई और घाटों को भी खतरा
एक-एक कर कई घाटों की सीढि़यां दरक रही हैं। कई जगहों पर घाटों की सीढि़यों में अभी भी व्यापक तौर पर सिलन दिख रहा है। तमाम घाटों की सीढि़यां टूट फूट रही है लेकिन इस ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा। इससे आने वाले दिनों में और घाटों को भी खतरा हो सकता है।
मूलभूत सुविधा तक नहीं
घाटों पर बदहाली के अलावा भी कई तरह की परेशानियों से लोग हर रोज जूझते हैं। तमाम घाटों की दीवार में दरार हो गया है और कई जगहों पर जमीन भी उखड़ चुकी है। इसके अलावा चेंजिंग रूम की व्यवस्था तक नहीं है। इससे हर रोज दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।
गंगा घाटों की बदहाली पर प्रदर्शन
गंगा किनारे जमी मिट्टी का अभी तक निस्तारण न किए जाने और टूटी-फूटी रेलिंग को जल्द से जल्द दुरुस्त करने की मांग को लेकर स्वराज संस्था के सदस्यों ने गुरुवार को आनंदमयी घाट पर जमकर धरना-प्रदर्शन किया।
संस्था के सदस्यों का कहना था कि काशी में ही प्रधानमंत्री मोदी ने गंगा को स्वच्छ बनाने का संकल्प लिया था। बावजूद इसके गंगा सफाई तो दूर घाट किनारे की सुधि तक नहीं ली जा रही है। हाल यह है कि लाल जैन घाट, जानकी घाट आदि जगहों पर रेलिंग टूट चुकी है और कई घाटों पर चेंजिंग रूम का हाल भी बदहाल है। संस्था के प्रबंधक विकास चंद्र तिवारी ने कहा कि प्रशासन अविलंब घाटों की स्थिति सुधारें नहीं तो पीएम के संसदीय कार्यालय पर हम सभी प्रदर्शन को बाध्य होंगे। इस मौके पर नवल किशोर सिंह, सत्यांदू जोशी, राज लक्ष्मी तिवारी, पूनम, राजेश, पप्पू, राजू, पारस, राजेंद्र, सिकंदर आदि मौजूद थे।