छलक पड़ेंगे ज्योति कलश
वाराणसी : दीप पर्व दीपावली के पांच दिनी महोत्सव का श्रीगणेश 28 अक्टूबर शुक्रवार को धन त्रयोदशी (धनते
वाराणसी : दीप पर्व दीपावली के पांच दिनी महोत्सव का श्रीगणेश 28 अक्टूबर शुक्रवार को धन त्रयोदशी (धनतेरस) व धनवंतरि जयंती से होगा। इन पांच दिनों में नौ पर्वो के साथ समापन एक नवंबर को यम द्वितीया (भैया दूज) व चित्रगुप्त जयंती मनाकर होगा। काशी विश्वनाथ मंदिर कार्यपालक समिति सदस्य ख्यात ज्योतिषाचार्य पं. ऋषि द्विवेदी के अनुसार धनतेरस पर 28 की शाम 6.39 से 8.35 बजे तक दीपदान और धनलक्ष्मी पूजन का विधान है। इसी दिन धनवंतरि जयंती भी मनाई जाएगी।
दीप पर्व श्रृंखला के दूसरे दिन 29 अक्टूबर को कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी पर नरक चतुर्दशी मनाई जाएगी। भगवान ने इसी दिन नरकासुर वध किया था। इसे छोटी दीपावली के रूप में भी मनाया जाता है। इस दिन रोग-दोष नाश के लिए प्रदोष काल में घर के बाहर पूर्व मुख होकर तिल के तेल से भरे चार बत्तियों का दीपक जलाया जाता है। किसी धर्मस्थल, कुआं, बावड़ी या निर्जन स्थान में यम के निमित्त दक्षिण मुख होकर जल-तिल व कुश लेकर यम तर्पण व धर्मराज के निमित्त दीप जलाना चाहिए। चतुर्दशी तिथि 28 अक्टूबर की शाम 6.18 बजे लग रही है जो 29 की शाम 7.52 तक रहेगी।
कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी को ही श्रीहनुमान जयंती भी मनाई जाती है। शास्त्र अनुसार हनुमान जी का प्राकट्य मेष लग्न भौमवार को माता अंजना देवी के उदर से हुआ था। अत: हनुमत् भक्तों को इस दिन प्रात: स्नान आदि कर संकल्प पूर्वक हनुमान जी का यथाविधि षोडशोपचार पूजन के साथ ही सुंदरकांड, हनुमान चालीसा, बजरंग बाण, हनुमान बाहुक या हनुमत मंत्र का पाठ या जप करना चाहिए। रात में हनुमानजी के सामने 101 दीप प्रज्ज्वलित करने से वह प्रसन्न होते हैं। इससे सभी संकटों से रक्षा व मनोकामना पूर्ति होती है।
काली पूजन भी 29 की रात
कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी को ही रात में महाकाली का भी पूजन किया जाएगा। शास्त्र अनुसार निशिथ काल कार्तिक अमावस्या में महाकाली के पूजन का विधान है। इस बार महाकाली पूजन को अमावस्या रात में 29 अक्टूबर को ही मिल रही है। ऐसे में महाकाली पूजन इसी रात किया जाएगा। दीप महापर्व दीपावली 30 अक्टूबर को मनाई जाएगी। वहीं 31 को अन्नकूट व एक नवंबर को यम द्वितीया (भइयादूज) व चित्रगुप्त जयंती मनाई जाएगी।