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पहले शौर्य गाथा, फिर कर्म प्रधान

वाराणसी : सुबह से ही सूबे में सपा के अंतर कलह से तप रही सियासी फिजां में चर्चाओं से हैरान जनता और भा

By Edited By: Published: Tue, 25 Oct 2016 02:36 AM (IST)Updated: Tue, 25 Oct 2016 02:36 AM (IST)
पहले शौर्य गाथा, फिर कर्म प्रधान

वाराणसी : सुबह से ही सूबे में सपा के अंतर कलह से तप रही सियासी फिजां में चर्चाओं से हैरान जनता और भाजपा के कार्यकर्ता डीरेका के मैदान में पीएम से भी कुछ तल्ख या चुटीला सुनने की आस लगाए बैठे थे। हालांकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंच पर आए तो तनिक ही पीएम दिखे, शेष वे काशी के सांसद ही नजर आए। सूबे के सत्ताधारी दल समेत विपक्ष में भी मची रार को पूरी तरह से नजर अंदाज ही कर दिया। सपा सहित बसपा और कांग्रेस का न कोई जिक्र किया, न ही संकेतों में जगह दी। मोदी ने शुरुआत में खूब शौर्य गाथा गाई और बाद में कर्म प्रधानता पर ही टिके रहे।

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प्रधानमंत्री ने सेना से मौका-ए-खास पर लगाव दिखाने से इतर साल के 365 दिन आत्मीयता जोड़े रहने का वादा अपने संसदीय क्षेत्र से लिया। सर्जिकल स्ट्राइक का जिक्र करते हुए बता भी दिया कि वे (सेना) हैं तो हम (देश) हैं। संकेत दिया कि सिर्फ बम और गोली चलने पर ही सेना को लेकर गौरवान्वित न होइए, हमेशा उनकी गौरवगाथा गाएं। जहां जवानों को देखें, सम्मान दें। हर जगह सेना को सुरक्षा बलों को सलाम करने की ऐसी दुनिया के कई देशों की संस्कृति है। डीरेका की परियोजना के करीब एक वर्ष पूर्व ही पूरा कर लिए जाने को नजीर के तौर पर रखकर पीएम ने विकास को लेकर अपना स्टैंड साफ किया। कहा, मैं किसी भी योजना की फाइल पर पहला सवाल यही करता हूं कि 'पूरी कब तक होगी'। शिलान्यास के बाद भी चैन से नहीं बैठ जाता, पूछता रहता हूं 'काम कहां तक पहुंचा'। स्पष्ट किया कि कम समय में जब परियोजनाएं पूरी होती हैं तो इससे समय तो बचता ही है, साथ ही विकास में तेजी आती है। हां, यह जरूर है कि इस क्रम में गुणवत्ता से कतई लापरवाह होने की छूट नहीं है।

प्रधानमंत्री ने राज्य सरकार पर यह कहते हुए तंज कसा कि चाहे आपके घरों में पानी आए या न आए, पाइप लाइन से ऊर्जा गंगा जरूर पहुंचेगी। प्रधानमंत्री द्वारा यह व्यवस्था पर उठाया गया सवाल था। केंद्र की पूर्ववर्ती सरकारों को घेरते हुए कहा कि रेलवे को बजट पेश करने का मजाक बना दिया गया था। ट्रेनों के ठहराव या एकाध डिब्बे जोड़ने का जिक्र आने पर सदन में सांसद मेज थपथपा देते थे, बस हो जाता था रेल का भला। हमने लीक से हटकर रेल व्यवस्था को आधुनिक, गतिमान व विस्तारित करने पर ध्यान दिया। बनारस के लिए परियोजनाओं की सौगात देने के लिए बतौर सांसद मोदी ने अपने सहयोगी मंत्रियों के प्रति आभार जताया।


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