अनुबंध पर काम करना स्वीकार नहीं
वाराणसी : श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर में कार्यरत कर्मचारियों, पुजारियों व सेवादारों को अनुबंध पर काम कर
वाराणसी : श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर में कार्यरत कर्मचारियों, पुजारियों व सेवादारों को अनुबंध पर काम करना स्वीकार नहीं है। उनका कहना है कि न तो उन्हें बीस प्रतिशत वेतन वृद्धि चाहिए और न ही वे लोग अनुबंध पर दस्तखत करेंगे। ये लोग मात्र सेवा नियमावली बनाने की मांग कर रहे हैं।
श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर न्यास की दो जुलाई को हुई बैठक में निर्णय लिया गया था कि सभी कर्मचारी अनुबंध पर काम करेंगे। अनुबंध पर दस्तखत के बाद उनके वेतन में बीस फीसद की बढ़ोतरी की जाएगी। अधिनियम से हटकर न्यास द्वारा लिए गए इस निर्णय का सभी कर्मचारी, पुजारी व सेवादार विरोध कर रहे हैं। लोगों का कहना है कि मंदिर अधिनियम की धारा 21 व 22 के अंतर्गत मंदिर में कार्यरत कर्मियों, पुजारियों व सेवादारों के लिए अनुबंध की व्यवस्था है तो यह अलग से अनुबंध का निर्णय क्यों लिया गया। इसके पहले कई बार बैठकों में निर्णय लिए गए लेकिन कोई भी कर्मचारी अनुबंधित नहीं है।
मंदिर अधिग्रहण के बाद न्यास की प्रथम बैठक में मंदिर के कर्मचारियों को कलेक्ट्रेट में कार्यरत कर्मचारियों के बराबर वेतन देने का निर्णय लिया गया था। यह भी निर्णय लिया गया था कि सभी को राज्य सरकार के नियमानुसार आवास व महंगाई भत्ता दिया जाएगा। दो-तीन वर्ष तक इसका अनुपालन भी किया गया। बाद में बंद हो गया। ऐसे में इस तरह के अनुबंध का कोई औचित्य नहीं है।
क्या है अनुबंध
न्यास मंदिर में कार्यरत कर्मचारियों, पुजारियों व सेवादारों को 11 महीने व तीन साल के अनुबंध पर रखेगा। इस दौरान उनकी कार्यशैली पर नजर रखी जाएगी। सब कुछ सामान्य रहा तो अनुबंध को आगे बढ़ाया जाएगा।
अब तक नहीं मिला नियुक्ति पत्र
मंदिर के एक पुजारी ने कहा कि मंदिर का अधिग्रहण हुए लगभग 34 वर्ष हो गए। मंदिर राज्य सरकार के अधीन है। अभी तक किसी भी कर्मचारी को नियुक्ति पत्र नहीं मिला। रही बात अनुबंध की तो मंदिर एक्ट में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है। सेवा नियमावली बना दी जाए तो अनुबंध की जरूरत ही नहीं है। अधिनियम से हटकर न्यास अनुबंध पर काम कराने का निर्णय लिया है जो किसी को भी स्वीकार नहीं है।
साठ साल में भी सेवा नियमावली का इंतजार
मंदिर में कई कर्मचारी साठ वर्ष की उम्र पार कर चुके हैं और अब भी मंदिर की सेवा में जुटे हैं। इन लोगों को भी सेवा नियमावली का इंतजार है। इन्हें भी अपने भविष्य की चिंता सता रही है।