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मांगी गुनाहों की माफी, पढ़ा पुरखों की मजारों पर फातिहा

वाराणसी : शब-ए-बरात के मौके पर रविवार को शहर भर में नूरानी माहौल था। दिन भर लोग हलवा बनाने के लिए ना

By Edited By: Published: Mon, 23 May 2016 01:51 AM (IST)Updated: Mon, 23 May 2016 01:51 AM (IST)
मांगी गुनाहों की माफी, पढ़ा पुरखों की मजारों पर फातिहा

वाराणसी : शब-ए-बरात के मौके पर रविवार को शहर भर में नूरानी माहौल था। दिन भर लोग हलवा बनाने के लिए नारियल, दाल आदि खरीदते रहे। घर की महिलाओं ने कई किस्म के हलवे बनाए, इसे बतौर तबर्रुक मगरिब की नमाज के बाद नज्र दिलाई गई। जबकि रात में इशा की नमाज के बाद लोग शहर में मौजूद बुजुर्गानेदीन के आस्तानों पर फतिहा पढ़ने के लिए पहुंचे। युवा साइकिल, मोटरसाइकिल व रिक्शा आदि से रात भर एक आस्ताने से दूसरे आस्ताने तक आते-जाते रहे। इस दौरान कब्रगाहों पर जाकर अपने मरहूम करीबी रिश्तेदारों के लिए दुआए खैर मांगने का सिलसिला भी रात भर चला। इसको देखते हुए कब्रिस्तानों की साफ-सफाई व प्रकाश का इंतजाम किया गया था, ताकि यहां आने वालों को किसी प्रकार की दिक्कत का सामना न करना पड़े। मस्जिदों में भी इबादत करने वालों की खासी भीड़ रही। कोई नफिल नमाज पढ़ रहा था, कोई कुरआन की तिलावत कर रहा, तो कोई तस्बीह पढ़ने में मशगूल था। रात भर खुद को थका देने वाली इबादत के दौरान सभी की एक ही आरजू थी कि ज्यादा से ज्याद इबादत कर खुदा को खुश किया जाए। साथ ही अपने तमाम गुनाहों की माफी मांगते हुए गुनाहों से तौबा कर नेक जिंदगी गुजारने का निश्चय किया जाए। इस अवसर पर मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में घरों को बिजली के झालरों से आकर्षक रूप में सजाया गया था।

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अगले दिन रहेंगे रोजा

शब-ए-बरात के अगले दिन रोजा रखने की रवायत है। रात भर की इबादत के बाद मुस्लिम बंधु अगले दिन रोजा रखते हैं। मुफ्ती-ए-शहर मौलाना अब्दुल बातिन नोमानी के अनुसार शाबान की 15 वीं रात को इबादत में गुजारना चाहिए और दिन में रोजा रखना चाहिए। इस रात खुदा की तरफ से ऐलान होता है कि है कोई तौबा करने वाला जिसकी तौबा मैं कबूल करूं? है कोई मगफिरत चाहने वाला जिसकी मैं मगफिरत करूं?

इन कब्रिस्तानों पर रही भीड़

बाछड़ की कब्रिस्तान-कमच्छा, जुम्मा शाह ज्ञानी बाबा-रेवड़ी तालाब, सुन्नन हाजी की तकिया-सगरा का बाग, तकिया हाजी अब्दुल रहीम शाह-बेनिया, तकिया सूरजकुंड, कब्रिस्तान बाबू मियां का अखाड़ा-पिपलानी कटरा, भवनिया कब्रिस्तान-भेलुपूर, बहादुर शहीद कब्रिस्तान-दुर्गाकुंड, टकटकपुर कब्रिस्तान-भोजूवीर, ऊंची तकिया-लल्लापुरा, औरंगाबाद व बादशाहबाग कब्रिस्तान, सालारपुरा कब्रिस्तान, दोषीपुरा कब्रिस्तान, दरगाह फातमान आदि में सारी रात फातिहा पढ़कर दुआए खैर मांगने का सिलसिला चलता रहा।

इन मस्जिदों में सारी रात होती रही इबादत

शहर की लगभग सभी मस्जिदों में एशा की नमाज के बाद से सुबह फज्र की नमाज तक लोग इबादत करते रहे। मस्जिद खुदा बख्श जाइसी लंगड़े हाफिज-नई सड़क, मस्जिद दायम खान-अर्दलीबाजार, जामा मस्जिद व मस्जिद खरबूजा शहीद-नदेसर, मस्जिद ढाई कंगूरा-चौहंट्टालाल खां, मस्जिद लाट सरैयां, मस्जिद शिवपुर, मस्जिद खाकी शाह-शिवाला, मस्जिद हबीबिया अहले सुन्नत-अहाता रोहिल्ला, मस्जिद याकूब शहीद-नगवां, मस्जिद बाबा फरीद-सोनारपुरा, अल्लू की मस्जिद-मदनपुरा, मस्जिद पौसरा वाली-लल्लापुरा, मस्जिद मौलाना शाह-कोयला बाजार, बख्शी जी की बड़ी मस्जिद-अंधरापुल, मुंशी की मस्जिद-रेवड़ी तालाब आदि में रात भर तिलावत व नफिल नमाज पढ़ने का सिलसिला चलता रहा।

बुजुर्गानेदीन के आस्तानों की खूबसूरत सजावट

शहर में मौजूद बुजुर्गानेदीन के आस्तानों को आकर्षक रूप में सजाया गया था। जहां पहुंचकर लोगों ने फातिहा पढ़ी। शाह तैय्यब शाह बनारसी-मंडुआडीह, शाह मूसा शाह-ककरमत्ता, चंदन शहीद बाबा-राजघाट, याकूब शहीद बाबा-नगवां, बहादुर शहीद बाबा-छावनी परिषद, लाटशाही बाबा-कचहरी, बाबा खरबूजा शहीद-नदेसर, मलंगशाह बाबा-मदनपुरा, पंजाबी शाह बाबा-भवनिया, तिनका शाह बाबा-दुर्गाकुंड, जाहिद शहीद बाबा-चौक, रमजान अली शाह बाबा-फीलखाना, बहादर शहीद बाबा-दुर्गाकुंड आदि आस्तानों पर रात भर अकीदतमंद पहुंचते रहे।

कई स्थानों पर हुए जलसे

शब-ए-बरात के मौके पर कई स्थानों पर जलसे का भी आयोजन किया गया। नई सड़क कपड़ा मार्केट में मौलाना जकीउल्ला असदुल कादरी की अध्यक्षता में जलसा हुआ। जिसमें मौलाना गुलाम नबी, मौलाना इकरामुद्दीन, मौलाना अरशद जमाल आदि ने तकरीर की। जबकि संचालन वलीउल्लाह कादरी ने की। वहीं बड़ी बाजार स्थित मस्जिद अहले हदीस (बुढि़या दाई) में भी इजलासे आम का आयोजन मौलाना अहसन जमील की अध्यक्षता में हुआ। यहां मौलाना फजलुर्रहमान, मौलाना, अब्दुल गफ्फार, मौलाना मोहम्मद हारून आदि ने तकरीर की जबकि संचालन गुफरान रहमानी ने किया।


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