दो अध्यापिकाओं की सेवा समाप्त
जागरण संवाददाता, वाराणसी : हाईकोर्ट के निर्देश पर संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय की कार्यपरिषद
जागरण संवाददाता, वाराणसी : हाईकोर्ट के निर्देश पर संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय की कार्यपरिषद ने वर्ष 2010 का विज्ञापन निरस्त कर दिया है। विज्ञापन निरस्त होने के कारण उस दौरान नियुक्त दो अध्यापिकाओं की सेवा भी समाप्त हो गई है। हालांकि सेवा समाप्त करने से पहले दोनों अध्यापिकाओं को नोटिस दी जाएगी।
वर्ष 2010 में अध्यापकों के सात पदों के लिए विज्ञापन किया गया था। वहीं दो पदों पर चयन समिति का लिफाफा वर्ष 2014 में खोला गया। पाच लिफाफे अब भी बंद थे। इस आरक्षण के नियमों की अनदेखी का आरोप लगाते हुए हाईकोर्ट में चुनौती दी गई। हाईकोर्ट ने शिकायत को सही पाया और विज्ञापन ही निरस्त कर दिया। विज्ञापन निरस्त होने से नियुक्ति स्वत: निरस्त हो गई।
कुलपति प्रो. यदुनाथ दुबे की अध्यक्षता में रविवार को हुई कार्यपरिषद की बैठक में अध्यापकों के रिक्त 62 पदों पर विज्ञापन जारी करने की स्वीकृति मिल गई। इन पदों पर जल्द ही नियुक्तियां की जाएंगी।
पदोन्नति के मामले में समिति गठित
चतुर्थ श्रेणी से तृतीय श्रेणी में कर्मचारियों की पदोन्नति के मामले में कार्यपरिषद ने समिति गठित कर दी है। इसमें प्रो. शीतला प्रसाद उपाध्याय, प्रो. व्यास मिश्र, प्रो. हरि प्रसाद अधिकारी, वित्त अधिकारी व कुलसचिव सदस्य बनाए गए हैं।