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सोनल मान के भावों से विह्वल हनुमत धाम

वाराणसी : संकट मोचन संगीत समारोह की पांचवीं निशा में शनिवार को कलाकारों ने प्रभु चरणों में सुर-लय

By Edited By: Published: Sun, 01 May 2016 01:53 AM (IST)Updated: Sun, 01 May 2016 01:53 AM (IST)
सोनल मान के भावों से विह्वल हनुमत धाम

वाराणसी : संकट मोचन संगीत समारोह की पांचवीं निशा में शनिवार को कलाकारों ने प्रभु चरणों में सुर-लय-ताल की त्रिवेणी बहाई। विभोर मन इसमें खुद गोते लगाए ही दीर्घा भी कभी दर्शक तो श्रोता रूप में भाव मगन नहाई। ख्यात नृत्यांगना सोनल मान सिंह के ओडिसी पोर-पोर में बसी और भावों से विह्वल हुआ हनुमत धाम।

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प्रथम पूज्य भगवान गणेश की वंदना से आराधना का आरंभ किया। 'गंगा तरंग रमणीय जटा कलापम..' पर प्रस्तुति से देव स्तुति की। 'जागिए रघुनाथ कुंवर..' से प्रभु श्रीराम के बाल रूप को सजाया। धनुष यज्ञ, वन गमन समेत रामकथा के विभिन्न प्रसंगों को उन्होंने जीवंत किया। 'को नहीं जानत है जग में कपि संकट मोचन नाम तिहारो..' व 'राम राम राम श्याम श्याम श्याम..' से श्रोता मंडल को मंत्र मुग्ध और विभोर कर दिया। आशीष मलिक ने नृत्य, बंकिम सेठ ने गायन, विनय प्रसन्ना ने बांसुरी, प्रदीप्त मोहाराना ने मर्दल व ऋषि शंकर ने पखावज पर साथ दिया।

तरूण भंट्टाचार्य के नेतृत्व

में झनके पांच सितार

पं. तरूण भंट्टाचार्य ने साथियों संग संतूर की झंकार से मन के तार छेड़े। राग भूपाली में आलाप-जोड़ बजाया। राग भटियारी में धुन बजा कर झूमने पर विवश किया। 'वैष्णव जन ते तेने कहिए..' से विभोर किया। संतूर पर चित्रदीप्त सरकार, तापस सेनगुप्ता, कुणाल साहा व अरण्य चौधरी ने झंकार एकाकार की। मोहनवीणा पर प्रदीप नाग व तबला पर ज्योतिर्मय राय चौधरी ने साथ दिया।

उस्ताद आशीष संग सरोद

त्रिवेणी, तबले पर अमेरिकी हाथ

उस्ताद आशीष खां, शिराज खां व अतीश मुखोपाध्याय ने राग वागेश्वरी में में सरोद की त्रिवेणी को झंकृत किया। राग वागेश्वरी में आलाप-जोड़-झाला बजाया व कौशिकी कान्हड़ा में विलंबित तीन ताल व द्रुत तीन ताल में प्रस्तुति दी। ध्रुपद बीनकर मैहर घराने की बारीकियों को पेश किया। इस घराने की इजाद व पोषित राग मालिका में धुन भी बजाई। इनके साथ अमेरिका के उस्ताद प्राणेश खां ने तबले पर थाप दी।

नागराज ने पुत्रों संग सुरों की दी धार

पं. नागराज हवलदार व उनके पुत्र ओंकार हवलदार ने राग अभोगी में गायन को धार दी। झप ताल में चरण घर आयो.., द्रुत एक ताल में लाज राखो मोरी.., तीन ताल में तराना सुनाया। भजन जो भजे हरि को सदा.. से रिझाया। किराना घराना के पं. नागराज पं. भीमसेन जोशी के प्रशिष्य हैं। तबले पर छोटे पुत्र केदारनाथ हवलदार ने संगत की। महंत प्रो. विश्वम्भरनाथ मिश्र ने कलाकारों का स्वागत किया व आशीर्वचन दिया। ख्यात न्यूरोलाजिस्ट प्रो. विजयनाथ मिश्र समेत हनुमत चरण अनुरागियों ने संयोजन किया। संचालन पं. हरिराम द्विवेदी व प्रतिमा सिन्हा ने किया।

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प्रभु चरणों में अर्पित दुख विषाद

सोनल मान सिंह ने प्रभु चरणों में हाजिरी लगाने के साथ उनके चरणों में हर्ष-विषाद, सब कुछ अर्पित किया। चार दिन पहले मां के निधन के बाद भी वह प्रस्तुति के लिए आई, शनिवार को उनका जन्म दिन भी था।


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