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अब दुकानदारों संग आमजन भी हो रहे जागरूक

वाराणसी : प्रदेश सरकार द्वारा प्रतिबंध लगाने के बाद पॉलीथिन कैरी बैग अब लोग स्वत: छोड़ने लगे हैं, इन

By Edited By: Published: Sat, 06 Feb 2016 02:22 AM (IST)Updated: Sat, 06 Feb 2016 02:22 AM (IST)
अब दुकानदारों संग आमजन भी हो रहे जागरूक

वाराणसी : प्रदेश सरकार द्वारा प्रतिबंध लगाने के बाद पॉलीथिन कैरी बैग अब लोग स्वत: छोड़ने लगे हैं, इनकी संख्या दिन ब दिन बढ़ती जा रही है। इसके प्रति लोग जागरूक हो रहे हैं। वे पॉलीथिन प्रदूषण का बड़ा कारण मानते है। ज्यादातर कारोबारी इसके विकल्प तलाश लिए हैं। कपड़े व जूट के हल्के थैले और कागज के पैकेट को अपना रहे हैं। जनरल स्टोर्स, मॉल, रेस्टोरेंट के अलावा मालाफूल, फेरी-पटरी वालों ने पॉलीथिन का इस्तेमाल बंद कर दिया है।

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थैली देने से कर रहे हैं मना

बाजारों में प्रतिबंध का असर ग्राहकों को जगाने के रूप में भी दिखने लगा है। दुकानदार ग्राहकों को पॉलीथिन की थैली देने से मना कर रहे हैं। पॉलीथिन की थैली से परहेज करने की सलाह के साथ घर से कपड़े का थैला लाने की अपील कर रहे हैं।

तलाश लिए विकल्प

छोटे-बड़े गल्ले के दुकानदार दाल, चावल, आटा, चीनी आदि खाद्य सामग्री नेट व कपड़े के बैग में देना शुरू कर दिया है। हालांकि ज्यादा सामान के लिए वे कपड़े के बैग लाने की अपील कर रहे है।

पान के दुकानदार : प्रतिबंध का असर पान के दुकानदारों पर साफ दिख रहा है। ज्यादातर दुकानदार चौघड़ा ठोंगा में देना शुरू कर दिए हैं। चाय के दुकानदार प्लास्टिक ग्लास के स्थान पर कुल्हड़ का इस्तेमाल करने लगे हैं।

रेस्टोरेंट : होटल व रेस्टोरेंट के संचालक पॉलीथिन के स्थान पर एल्यूमीनियम फ्वाइल का इस्तेमाल करने लगे हैं। कुछ को छोड़ दिया जाए तो ज्यादातर लोग पॉलीथिन प्रतिबंध के पक्ष में हैं।

मॉल सेक्टर : मॉल में पॉलीथिन प्रतिबंध का असर है। शहर के करीब सभी मॉल में नेट, जूट व कपड़ा बैग का इस्तेमाल शुरू हो चुका है।

शोरूम : कपड़े के छोटे-बड़े शोरूम में ज्यादातर नेट बैग का प्रयोग हो रहा है। कुछ स्थानों पर जूट बैग में सामान दिए जा रहे है। संचालकों का कहना है कि प्रतिबंध पालन सभी को करना चाहिए।

सभी प्रकार के पॉलीथिन पर प्रतिबंध

वाराणसी : प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी डा. मोहम्मद सिकंदर का कहना है कि पैकेजिंग मैटेरियल को छोड़ कर सभी प्रकार के पॉलीथिन बैग पर प्रतिबंध है।

पॉलीथिन पर प्रतिबंध से एक बड़े उत्पादक समेत 16 पॉलीथिन की इकाइयों को उत्पादन बंद करने का नोटिस जारी किया चुका है। इन इकाई संचालकों को एक सप्ताह की मोहलत दी गई है। जवाब आने के बाद उक्त इकाइयों की जांच की जाएगी। यदि इकाइयां काम करती पाई गई तो संचालकों के खिलाफ कार्रवाई होगी।

क्षेत्रीय प्रबंधक ने बताया कि कुछ लोगों में भ्रम है कि 40 माइक्रान तक पॉलीथिन बैग ही प्रतिबंध हैं। शहर के दुकानों, रेस्टोरेंट, मॉल आदि में लगभग पॉलीथिन का इस्तेमाल बंद है। विकल्प के रूप में लोग नेट, जूट व कपड़े का बैग में सामान देना शुरू कर दिए है।

क्या कहते हैं विशेषज्ञ

पॉलीथिन में जब खाने की सामग्री ले जाई जाती है तो कुछ रासायनिक तत्व खाने में पहुंच जाती है तो अनेक रोगों को जन्म देते हैं। इससे लंबे समय में विकलांगता, अल्सर, त्वचा रोग, पाचन कमजोर होना, लीवर का काम न करना, अस्थमा, नाक व गले में संक्रमण आदि हो सकता है। हालांकि प्लास्टिक को पुन: उपयोग में नहीं लाया जा सकता, यदि इसे गला कर पुन: इस्तेमाल में लाया जाता है तो इससे मानव स्वास्थ्य व पर्यावरण पर बुरा प्रभाव पड़ता है। प्लास्टिक की फैक्ट्रियां बंद होंगी तो बिजली की बचत होगी, प्रदूषण कम होगा। गली मोहल्ले की नालियां जाम नहीं होंगी और पर्यावरण स्वच्छ रहेगा। दूसरी ओर प्लास्टिक की थैलियों के बंद होने पर जूट, कपड़े, कागज के बने थैलों का प्रयोग होगा जिन्हें पुन: उपयोग में लाया जा सकता है। इसका पर्यावरण व मानव स्वास्थ्य पर कोई बुरा प्रभाव नहीं पड़ेगा।


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